78 साल के ट्रंप तो 81 साल के जो बाइडन हैं। डोनाल्ड ट्रंप आक्रामक लहजे और आरोप लगाने में जो बाइडन से कहीं आगे माने जाते हैं। आरोप का सामना करना भी ट्रंप को आता है। जब तिलमिलाकर जो बाइडन ने डोनाल्ड ट्रंप पर पोर्न स्टार से संबंध बनाने के राग को छेड़ा तो ट्रंप ने बड़ी चतुराई से उसे बाइडन के बेटे के ऊपर लगे आरोप की तरफ मोड दिया।
अमेरिका के लोग 5 नवंबर 2024 को अपना 60 वां राष्ट्रपति चुनने के लिए वोट डालेंगे। राष्ट्रपति पद के दो उम्मीदवार हैं। वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप। किसकी बनेगी सरकार? इस नतीजे का इंतजार पूरी दुनिया को है। भारतीय रणनीतिकार और विदेश मामलों के विशेषज्ञ कहते हैं कि दुनिया युद्ध में फंसी है। इस्राइल-फिलिस्तीन और रूस-यूक्रेन में जंग चल रही है। हूती विद्रोहियों ने लाल सागर बाधित कर रखा है। ईरान में पारा हाई है। चीन ताइवान को आंख दिखा रहा है और यूरोप के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। इन मुद्दों को लेकर भी ट्रंप और जो बाइडन में जोरदार बहस हुई है।
दिलचस्प है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर यह बहस सितंबर में होनी चाहिए थी। चुनाव 5 नवंबर को है, लेकिन जून 2024 के आखिरी सप्ताह में तीन महीने पहले ही हो गई। इसमें ट्रंप ने उन सभी जटिल मुद्दों पर घेरने की कोशिश की जो अमेरिका के राष्ट्रवाद, विशेष राष्ट्रीय हित और वहां की लाइफ स्टाइल के अनुरुप नागरिकों को सहूलियत देने वाले हैं। अमेरिका में रोजगार, टैक्स आदि भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है, जबकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने डिबेट के अनुभव का 81 वर्ष की आयु में बखूबी अंदाज दिखाया। हालांकि विश्लेषक मानते हैं कि जो बाइडन रक्षात्मक अधिक चले। तगड़ा उत्साह नहीं दिखाई पाए। जबकि डोनाल्ड ट्रंप बड़ी चतुराई से बहस को आगे बढ़ाने में सफल रहे
ट्रंप के मुद्दे जो बाइडन को कर सकते हैं परेशान
ट्रंप ने राष्ट्रपति जो बाइडन की विदेश नीति पर करारा प्रहार किया। उनकी अर्थ व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया। राष्ट्रपति बाइडन को मंचूरियन बाइडन की संज्ञा तक दे दी। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया। अफगानिस्तान में बाइडन प्रशासन के सेना को वापस बुलाने के तरीके, दुनिया में इसके चलते अमेरिका की फजीहत को बड़ा मुद्दा बनाया। ट्रंप शासन के दिन याद दिलाए और कहा कि चार साल के उनके कार्यकाल में अमेरिका को किसी युद्ध जैसी स्थिति से नहीं जूझना पड़ा। ट्रंप ने इस दौरान दो बड़े संकेत दिए। पहला तो यह कि वह सत्ता में आएंगे तो रूस की नीति का समर्थन नहीं करेंगे लेकिन यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म कराने का प्रयास करेंगे। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के मंसूबों पर पानी फिरने, यूक्रेन को अमेरिकी सहायता रोकने जैसे कदम की तरफ भी ईशारा किया। इस्राइल-हमास की जंग भी एक निर्णायक मोड़ पर आने की तरफ ईशारा किया। जलवायु परिवर्तन को लेकर अपने पुराने रुख की तरफ लौटने का संकेत दिया।
दोनों उम्र दराज लेकिन कौन पड़ रहा है किस पर भारी…
78 साल के ट्रंप तो 81 साल के जो बाइडन हैं। डोनाल्ड ट्रंप आक्रामक लहजे और आरोप लगाने में जो बाइडन से कहीं आगे माने जाते हैं। आरोप का सामना करना भी ट्रंप को आता है। जब तिलमिलाकर जो बाइडन ने डोनाल्ड ट्रंप पर पोर्न स्टार से संबंध बनाने के राग को छेड़ा तो ट्रंप ने बड़ी चतुराई से उसे बाइडन के बेटे के ऊपर लगे आरोप की तरफ मोड दिया। जलवायु परिवर्तन और पेरिस समझौते से जुड़े आरोप पर भी ट्रंप ने चतुराई दिखाई और अमेरिका के अरबों डालर बचाने का हवाला दे दिया। ट्रंप ने चीन ने निबट पाने में बाइडन को अक्षम ही नहीं बनाया बल्कि मंचूरियन राष्ट्रपति की संज्ञा भी जड़ दी। रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर उन्होंने आरोप लगाए कि यह युद्ध बाइडन की गलत नीतियों के कारण भडका। ट्रंप के एक पुराने बयान को याद करना चाहिए। जब रूस ने यूक्रेन सी सीमा में अपनी सेना भेज दी थी तो ट्रंप ने पुतिन को जीनियस बताया था। अब वह रूस के राष्ट्रपति की नीति का विरोध तो कर रहे हैं, लेकिन इसके साथ यूक्रेन को अमेरिकी सहायता राशि या हथियारों की मदद की नीति भी ट्रंप को नहीं रास आ रही है। ट्रंप अमेरिकी मतदाताओं के दिमाग में यह बैठाना चाहते हैं कि इस्राइल में हमास का हमला और यह युद्ध बाइडन प्रशासन की गलत नीतियों का परिणाम है। ट्रंप इस्राइल के साथ खड़े हैं, लेकिन हमास के साथ युद्ध की वर्तमान स्थिति के खिलाफ हैं। वह कहना चाहते हैं कि इससे अमेरिका की अर्थ व्यवस्था को भी चोट पहुंच रही है और दुनिया में उसका दबदबा भी घट रहा है। एक तरह से जो बाइडन की विदेश नीति, अर्थनीति, कूटनीति को अमेरिकी राष्ट्रवाद, अमेरिकी हित से जोड़कर निशाने पर ले रहे हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव क्यों है महत्वपूर्ण?
पूरी दुनिया में इस्राइल-हमास, रूस-यूक्रेन युद्ध में उलझी है। चीन और ताइवान के बीच में तनाव चरम पर है। भारत और चीन की सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा, खासकर लद्दाख सीमा पर चार साल से अधिक समय से तनातनी की स्थिति है। दक्षिण चीन सागर में चीन लगातार अपनी दावेदारी को मजबूत करने के मंसूबे दिखा रहा है। इससे पड़ोसी देश फिलीपींस समेत अन्य तंग चल रहे हैं। आर्थिक क्षेत्र में प्रवाह में बड़ा गतिरोध सा है। नतीजतन विकासशील और कम विकसित देशों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। माना जा रहा है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे दुनिया को इस स्थिति से निकालने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अमेरिका दुनिया की महाशक्ति है और विश्व समुदाय में अपनी हैसियत रखता है।