हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से मंगलवार को मनोहर लाल खटर ने इस्तीफा दे दिया है। वह साढ़े नौ साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पे रहे। 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद जब सीएम पद के लिए उनके नाम पर मुहर लगी तो सभी चौंक गए थे। वह पहली बार विधायक बने थे। सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं था और सीधे सीएम की कुर्सी पर जाकर बैठ गए थे। उस दौरान किसी को भी पहली बार उनके नाम पर यकीं नहीं हुआ था और आज जब मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया तब भी किसी को भरोसा नहीं हुआ। जाते समय भी वह लोगों को हैरानी में डाल गए है। सीएम पद से हटने की उनकी चर्चाएं करीब डेढ़ साल पहले हुई थी, मगर समय-समय पर उनके कामों की पीएम व अमित शाह जिस तरह से तारीफ करते थे, उससे यही लगता था कि मनोहर लाल तीसरी बार भी सरकार का चेहरा रहने वाले हैं। हालांकि उनके सामने किसान आंदोलन, पहलवानों का धरना प्रदर्शन, जाट आंदोलन और राम रहीम की गिरफ्तारी जैसी कई चुनौतियां सामने आई, मगर उनकी कुर्सी पर खतरा कभी बना नहीं। अपने कुशल प्रशासक व प्रबंधन की वजह से वह पीएम मोदी व शाह के चहेते बन गए। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कुशल अधिकाारियों की अच्छी फौज भी तैयार कर रखी थी, जिसकी वजह से उन्हें कभी काम में कोई दिक्कत नहीं आई।
केंद्र में मिल सकती है जगह।
मनोहर लाल खटर केंद्रीय नेतृत्व सरकार के खासमखास है। मोदी ही उन्हें सीएम के तौर पर लाए थे। ऐसे में मनोहर लाल को केंद्र में नई भूमिका मिल सकती है। उनको लेकर राजनीतिक बाजार में दो चर्चाएं चल रही है। पहली कि वह करनाल से सांसद का चुनाव लड़ सकते हैं। चुनाव जीतकर वह केंद्र में मंत्री के दावेदार होंगे और दूसरी कि उन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। संघ के साथ जुड़े होने की वजह से उनका नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर चल रहा है। हालांकि एक सवाल के जवाब में उन्होंने इसके लिए इंकार कर दिया था।
एक दिन पहले पीएम मोदी ने मनोहर लाल की थी तारीफ
मनोहर लाल के इस्तीफे के एक दिन पहले पीएम मोदी ने मनोहर लाल की खूब तारीफ की थी। 11 मार्च को गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन के दौरान पीएम ने पुरानी यादें साझा करते हुए कहा था कि उनकी मनोहरलाल के साथ पुरानी दोस्ती है। मनोहर लाल के पास एक मोटरसाइकिल होती थी, जिसे मनोहर चलाते थे और वह उनके पीछे बैठते थे।
सीएम बदलने के चार बड़े कारण
1. साढ़े 9 साल की सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी, इसे काटने के लिए नेतृत्व को बदला गया है।
2. राज्य में अफसरशाही भारी रूप से हावी था। मंत्री नाराज थे, मगर मनोहर लाल लगाम कसने में नाकाम रहे।
3. राज्य में पिछड़े वर्ग को साधने के लिए मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को लाया गया है।
4. MP, Rajasthan की तरह पार्टी राज्य को नया नेतृत्व देना चाहती थी, इसलिए मनोहर को बदला गया है।
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