Vishu Shikar 2025:चंडील अनुमंडल के दलमा मकुलकोचा संग्रहालय में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा एक विशेष बैठक आयोजित की गई। यह बैठक ‘विशु शिकार’ पर्व के अवसर पर दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों के साथ की गई।
बैठक का उद्देश्य वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और पारंपरिक शिकार प्रथाओं में बदलाव लाना था।दलमा के पूर्वी और पश्चिमी दोनों रेंज के रेंजर – दिनेश चंद्र एवं अर्पणा चंद्र – ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वन एवं वन्य जीव केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर और पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने “अहिंसा परमोधर्मः” के सिद्धांत को दोहराते हुए महात्मा गांधी की विचारधारा को याद किया और सभी से वन्य प्राणियों के साथ सह-अस्तित्व की भावना अपनाने की अपील की।
ग्रामीणों ने भी शिकार परंपरा को बदलने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए कहा कि जंगल और जीव सदियों से उनके जीवन का हिस्सा रहे हैं। हालांकि, बीते वर्षों में मानवजनित गतिविधियों के कारण जंगल सिमटे हैं और कई प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं।बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि विशु शिकार जैसे पारंपरिक पर्वों को अब हिंसा रहित, जीवों की रक्षा के रूप में मनाना चाहिए।
पिछले वर्ष भी दलमा क्षेत्र के आदिवासियों ने शिकार न कर नया उदाहरण प्रस्तुत किया था, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई थी।बैठक का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि आने वाली पीढ़ियों के लिए वन्य जीवन और प्रकृति को सुरक्षित रखना हम सभी का दायित्व है।