प्रदेश में पर्यटकों की आवश्यकताओं को देखते हुए विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। इसी क्रम में होटल निर्माण के मानकों में भी सहूलियत दी गई है। इससे प्रदेश में बड़े पैमाने पर होटल बनेंगे। केवल वैश्विक निवेश सम्मेलन ( जीआईएस) में पर्यटन विभाग को मिले निवेश प्रस्ताव से लगभग दो लाख कमरे बनेंगे और लगभग तीन लाख लोगों को रोजगार का मौका मिलेगा। सरकार के इस फैसले से अयोध्या, काशी, मथुरा समेत अन्य पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को काफी सुविधा होगी। पर्यटन व संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इन प्रमुख धार्मिक व अन्य पर्यटक स्थलों में रुकने के लिए होटल, होम स्टे आदि की मांग लगातार बढ़ रही है। प्रदेश सरकार के होटल क्षेत्र के लिए निर्माण उपनियमों में सुधार को दी गई मंजूरी के बाद भूमि उपयोग 50 फीसदी बढ़ जाएगा। इससे इतनी भूमि पर 1.5 गुना अधिक कमरे बनाए जाएंगे। यह सुधार आतिथ्य क्षेत्र में निवेश और विकास के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने की क्षमता है। इन सुधारों का लाभ विभिन्न क्षेत्रों में मिलेगा। यह सुधार न केवल मौजूदा बाजार मांगों को पूरा करेंगे बल्कि प्रदेश आतिथ्य विकास में अग्रणी बनेंगे। सुधारों में बढ़ा लचीलापन होटल डिजाइन और विकास में नवाचार को बढ़ावा देगा। होटल निर्माण अब विभिन्न श्रेणियों, जैसे बुटीक और पांच-सितारा संपत्तियों, ईको-पर्यटन से लेकर धार्मिक यात्राओं तक के विविध अनुभवों में आसान हो जाएगा।
यह दी गई है रियायत
पर्यटन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब होटल खोलना और आसान होगा। आवास विभाग ने इसके लिए नियमों को शिथिल कर दिया है। छह कमरों से 20 कमरों तक के होटल खोलने के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल की बाध्यता नहीं होगी। आवासीय क्षेत्रों में यह नौ मीटर चौड़ाई वाली सड़क पर खोला जा सकेगा। 20 कमरों से अधिक का होटल के निर्माण के लिए न्यूनतम 500 वर्ग मीटर जमीन की ही आवश्यकता होगी। आवासीय क्षेत्र में 12 मीटर चौड़ी सड़क पर ऐसे होटल बनाए जा सकेंगे। गैर आवासीय क्षेत्रों में सभी तरह के होटल बनाने के लिए सड़क की चौड़ाई 12 मीटर होना जरूरी है।