जमशेदपुर: प्रो. डॉ. गंगाधर पांडा केवल एक प्रखर शिक्षाविद् ही नहीं थे उनके परिचय की गहराई वास्तव में इससे कई गुणा अधिक है। विद्यार्थियों के लिए आदर्श, साथी कर्मियों के लिए आदरपात्र और समाज के लिए एक कुशल मार्गदर्शक की भूमिका में प्रो. पांडा का जीवन अपनी संपूर्णता के साथ समाप्त हुआ है। ये उदगार नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलसचिव नागेंद्र सिंह ने व्यक्त किये। वह प्रो. पांडा के निधन पर यूनिवर्सिटी में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षाजगत के प्रतिष्ठित और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी प्रो. गंगाधर पांडा उन लोगों में से एक थे जिन्हें अपने जीवन में यह अवसर मिल पाता है कि उन्होंने अपने व्यवहारिक जीवन के शुरुआती दिनों में जिन लक्ष्यों की पूर्ति का स्वप्न देखा हो अपने जीवन के अंतिम दिनों में उस स्वप्न को वास्तविकता के धरातल पर उतार सकने के संतोष के साथ अपने जीवन से विदा लिया हो। प्रो. पांडा को एक ऐसा ही जीवन प्राप्त हुआ है। उनका इस तरह से आकस्मिक हमारे बीच से जाना वास्तव में शिक्षाजगत के लिए एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई संभव नहीं और विश्वविद्यालय के लिए यह व्यक्तिगत क्षति के समान है क्योंकि प्रो. पांडा अपने जीवन के अंतिम दिनों में हमारे विश्वविद्यालय परिवार का हिस्सा रहे हैं।
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात प्रो. पांडा नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर सेवा दे रहे थे। संस्कृत के प्रखर विद्वान, भारतीय संस्कृति और देशज ज्ञान परंपरा के एकीकृत स्त्रोत और शिक्षाजगत के विभिन्न आयामों की गहरी समझ रखने वाले प्रो. गंगाधर पांडा वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में शिक्षा के वास्विकता उद्देश्यों को संपोषित और उसे सुदृढ़ता से क्रियान्वित करने वाले व्यक्ति थे।
शिक्षाजगत में प्रो. पांडा का अतुलनीय योगदान
अपने शोधपत्रों, विभिन्न विषयों पर लिखी गई उनकी किताबों, विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में दिये गए अपने महत्त्वपूर्ण योगदान और आज की जरूरत के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित अपने नवाचारों और नीतियों के लिए प्रो. गंगाधर पांडा हमेशा हमारे बीच याद किये जाते रहेंगे। सोमवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलाधिपति मदन मोहन सिंह, प्रतिकुलपति प्रो. डॉ. आचार्य ऋषि रंजन, विश्वविद्यालय के कुलसचिव नागेंद्र सिंह, शैक्षणिक विभाग के अधिष्ठाता, आईटी विभाग के अधिष्ठाता , प्रशासनिक विभाग के अधिष्ठाता, मानविकी और कला संकाय के अधिष्ठाता, परीक्षा नियंत्रक, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, विभिन्न संकायों के संकाय सदस्य, शिक्षकेत्तर और गैर शिक्षकेत्तर कर्मचारी और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे।