Jharkhand: हाल ही में विधानसभा स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने कुंडहित में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि राजभवन बीजेपी के इशारे पर काम करता है। झारखंड सरकार द्वारा पारित महत्वपूर्ण विधेयकों को वापस लौटा दिया गया। इनमें 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता बिल और आरक्षण बिल शामिल है। सरना धर्म कोड पर भी दिल्ली का रुख स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा था कि पब्लिक को समझना होगा कि कौन उनका दोस्त है और कौन दुश्मन। बीजेपी उनके इस बयान के खिलाफ राज्यपाल के पास गई थी और कार्रवाई की मांग की।
पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने राज्यपाल पर बीजेपी नेताओं की तरह काम करने का आरोप लगाया। झामुमो ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है। पार्टी के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने बुधवार को पार्टी कैंप कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि राज्यपाल राज्य के जिलों में जन सभाएं कर केंद्र सरकार की योजनाओं उज्वला, नल जल योजना, शौचालय आदि का प्रचार कर रहे हैं।
सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल का काम राज्य सरकार के निर्णयों और कार्यों में उचित परामर्श देने का होता है। केंद्र की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने का काम उनका नहीं है। यह नया ट्रेंड शुरू हो रहा है, जो लोकतंत्र के लिए घातक है। सुप्रियो ने यह भी उम्मीद जताई कि 2024 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई में गठबंधन की सरकार बनेगी और शपथ ग्रहण मौजूदा गवर्नर की मौजूदगी में संपन्न होगा। इससे पहले भी सुप्रियो भट्टाचार्य राज्यपाल पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने कहा था कि सीपी राधाकृष्णन दिल्ली दौरे में कहीं गृह मंत्रालय तो नहीं गए थे।
सुप्रियो ने भाजपा नेताओं द्वारा गवर्नर से स्पीकर पर कार्रवाई किए जाने की मांग पर भी चुटकी ली। कहा कि स्पीकर एक संवैधानिक पद है न कि दैनिक वेतनभोगी कर्मी जिससे आज काम लिया और कल बाहर का रास्ता दिखा दिया। नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर कहा कि भाजपा आयोगों के खाली पद पर आवाज उठाती है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष के रूप में किसी विधायक को नामित नहीं करती। जबकि बाबूलाल मरांडी के खिलाफ स्पीकर न्यायाधीकरण में मामला विचाराधीन है।
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