Sarna Dharma/खूंटी: जनजातीय संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक सरना धर्म अब राजधानी दिल्ली में अपनी विशिष्ट पहचान को और मजबूती से प्रकट करेगा। खूंटी जिले के विभिन्न इलाकों से 50 से अधिक सरना धर्मावलंबी 5 मई को नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आयोजित संस्कृति जागरण महोत्सव में भाग लेंगे।
यह यात्रा मात्र एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक मिशन है, जिसमें श्रद्धालु अपने साथ उलिहातू की पवित्र मिट्टी, डोम्बारी बुरू की शहीद भूमि की माटी और सरना धर्म का प्रतीक ध्वज ‘सिंगबोंगा’ लेकर दिल्ली जाएंगे। उलिहातू, भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि है, वहीं डोम्बारी बुरू जनजातीय आंदोलन का ऐतिहासिक स्थल रहा है।
श्रद्धालुओं का कहना है कि दिल्ली में होने वाला यह महोत्सव देश के सामने आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक समृद्धि, पहचान और धार्मिक आस्था को प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। इस कार्यक्रम में पारंपरिक नृत्य, गीत और पूजा अनुष्ठानों के माध्यम से सरना धर्म की विरासत को साझा किया जाएगा।
इस ऐतिहासिक पहल का उद्देश्य सरना धर्म को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के संघर्ष को एक नई दिशा देना और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ना है।