शनि की साढ़े साती, भारतीय ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में से एक ग्रह, शनि की साढ़े सात वर्ष चलने वाली एक प्रकार की ग्रह दशा होती है। ज्योतिष एवं खगोलशास्त्र के नियमानुसार सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते रहते हैं। इस प्रकार जब शनि ग्रह लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुजरते हुए अपना समय चक्र पूरा करता है। शनि की मंथर गति से चलने के कारण ये ग्रह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष यात्रा करता है, इस प्रकार एक वर्तमान के पहले एक पिछले तथा एक अगले ग्रह पर प्रभाव डालते हुए ये तीन गुणा, अर्थात साढ़े सात वर्ष की अवधि का काल साढ़े सात वर्ष का होता है। भारतीय ज्योतिष में इसे ही साढ़े साती के नाम से जाना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काले घोड़े की नाल शनि की महादशा और उसके प्रकोप से बचाती है I काले घोड़े की नाल को सरसों के तेल में रखें और उसे शमी के पेड़ के नीचे गाड़ दें. माना जाता है कि यह उपाय करने से शनि के कारण होने वाली सारी समस्याओं का अंत होता है. इस उपाय को करने से शनि की कृपा बरसती है.
घोड़े की नाल को घर के मुख्य दरवाजे पर टांगने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और घर के सदस्यों का नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करते हैं. दरवाजे पर घोड़े की नाल टांगने से घर में सुख- शांति बनी रहती है. घर में घोड़े की नाल लगाने से शनिदेव के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं.
नौकरी और कारोबार से परेशान हैं, तो अंगुली में घोड़े की नाल से बना हुआ छल्ला या अगुंठी पहनें. ऐसा करने से शनि का दुष्प्रभाव कम होता है और नौकरी-व्यापार संबंधी सभी समस्याएं दूर होने लगती हैं.
काले घोड़े की असली नाल वही होती है जो खुद घिसकर उतर गयी हो. ऐसी काले घोड़े की नाल ही पूर्ण रूप से सक्रिय मानी जाती है. घोड़े की नाल सारे बिगड़े कामों को बना देती है. काले घोड़े के आगे वाले दोनों पांव में से दाईं तरफ की नाल सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इसका प्रभाव सबसे ज्यादा रहता है.
जो लोग शनि से जुड़े कारोबार में हैं या फिर किसी न किसी रूप में शनि के नकारात्मक प्रभाव से पीड़ित हैं उन लोगों को अपने घर के मुख्य द्वार पर घोड़ी की नाल जरूर लगाना चाहिए. काले घोड़े के अलग-अलग पांव के नाल का प्रभाव हर व्यक्ति पर उसके ग्रहों की दशा के अनुसार अलग-अलग होता है.
जिन लोगों के घरों का मुख्य द्वार दक्षिण दिशाकी तरफ हो उन लोगों को भी अपने दरवाजे पर इस नाल का प्रयोग करना चाहिए. इसे शनिवार के दिन शाम के समय पर ही स्थापित करने से लाभ मिलता है. नाल को स्थापित करने से पहले उसे मंत्रों द्वारा जागृत करके सक्रिय किया जाता है.
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