झारखंड के कई जिलों में पिछले कुछ महीनों से हाथियों का आतंक है। जंगली हाथियों का झुंड अक्सर गांवों में घुस आता है। हाथी घरों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। यही नहीं, हाथियों ने इस वर्ष दर्जनों लोगों को मार भी डाला है। हाथियों की दहशत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि रांची के कुछ प्रखंडों में धारा-144 लगानी पड़ी थी। यहां एक गांव में हाथियों ने 4 लोगों को कुचलकर मार डाला था। पर्यावरणविदों का कहना है कि हाथी अलग- मौसम में झारखंड से ओडिशा और बंगाल होते हुए छत्तीसगढ़ के जंगली इलाकों में विचरण करते हैं। बढ़ती आबादी, वनों की कटाई, तेज औद्योगिकरण, जंगलों में रिहायशी इलाकों का निर्माण ऐसे कारक हैं। जिन्होंने हाथियों से उनका आवास और विचरण क्षेत्र छीन लिया है। यही वजह है कि हाथी घनी आबादी वाले इलाकों में घुस आते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं।
इसी बीच डुमरा पंचायत के पालूबेड़ा रमायगोड़ा टोला से एक मामला सामने आया है I संजय मार्डी के घर की बाउंड्री में हाथी से बचने के लिए लगाए गए बिजली प्रवाहित तार के संपर्क में आने से उसकी पत्नी रेशमी मार्डी की मौत हो गयी। वह सुबह उठकर शौच के लिए जा रही थी । जब घर की अन्य महिलाओं ने उसे देखा तो बचाने गयीं, जहां उन लोगों को भी बिजली का झटका लगा। हो हल्ला होने पर आसपास के ग्रामीण भी मौके पर जुट गए। इससे पहले कि कोई कुछ कर पाता रेशमी ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची कांड्रा पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
ग्रामीण इलाकों में लोग हाथियों को भगाने और अपने घर तथा फसल की सुरक्षा के लिए अलग-अलग उपाय करते हैं। कई गांवों में युवकों की टोली रातभर बारी-बारी से पहरा देती है और आग जलाकर या नगाड़ा बजाकर हाथियों को भगाने का प्रयास किया जाता है। वहीं, कई इलाकों में हाथियों से घरों और फसलों को बचाने के लिए बिजली का तार बिछा दिया जाता है। संजय मार्डी ने भी कुछ ऐसा ही करने का प्रयास किया था जो उल्टा पड़ गया। बिजली की तार की चपेट में आकर पत्नी रेशमी मार्डी की दुखद मौत हो गई I
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