Jamshedpur: जून 2023 को नेशनल हाइवे पोलासबनी डेमका डीह में एक पागल जैसा आदमी सुबोध गौड़ और महेश गौड़ को सड़को पर बारिश के समय भींगता हुआ मिला था. वही हाइवे पर बने पानी आने जाने के लिए बने पुल पर रह रहा था.
जब तो इन दोनों ने उसे पास के देवा गौड़ के होटल में जाकर रहने के लिए बोला. जो व्यक्ति मिला उसका नाम बृजलाल है. गाँव का नाम सोनटोला और पास के जगह का नाम पाथरी बता रहा था. काफ़ी कमजोर हो था. इन लोगों ने उसका इलाज कराया. इसके बाद से अभी तक उसका ठिकाना देवा होटल ही था.
बात करने में असमर्थ था. हिंदी बोल नहीं पाता था.
इस दौरान यानि लगभग 8 महीने के बाद सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्त्ता दीपक दीपक रंजीत से बृजलाल का मुलाकात हुआ. तब दीपक रंजीत ने उससे बात कर काफ़ी मसक्कतों के बाद उससे उसका पता पूछने का कोशिश किया तो सिर्फ व अपना नाम और गाँव का नाम सोन टोला और पाथरी ही बता पा रहा था. कई दिनों के पूछताछ के बाद पता चला कि आदिम जनजाति वैगा समुदाय का है.
तब दीपक रंजीत ने आदिवासियों के बीच काम करने वाले सामजिक राजनैतिक कार्यकर्त्ता भुवन सिंह कोरामा से सम्पर्क किया तो पता चला पाथरी मध्यप्रदेश जिले के बालाघाट क्षेत्र का रहने वाला है. उनलोगों ने उनका घर वालों से सम्पर्क किया तो पता चला कि लगभग 15 साल पहले बृजलाल चापाकल गाड़ी में काम करने के केरल गया था. उस समय बृजलाल का बेता एक महीने का था. आज 15 साल का हो गया है. घर वालों ने उसे मुर्दा समझकर उका क्रियाकर्म भी कर दिया है. लेकिन जब पता चला कि बृजलाल जिन्दा है तो उनके परिवार में खुशी का लहर दौड़ गया.
तब बृजलाल को लेने के लिए सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्त्ता भुवन सिंह कोराम के नेतृत्व में पास के सुखसिंह नेताम, समारु सिंह धुरबे और बृजलाल के छोटा भाई धुरबे लेने के लिए आए थे.
इस दौरान बृजलाल हिंदी और राढ़ी बांग्ला भाषा भी सिख गया.
जाने से पहले देवा होटल में उसका विदाई समारोह किया गया. खुशी खुशी उसे विदाई दिया गया.
आज बृजलाल घर पहुंच जाएगा. उसके गाँव में उसके स्वागत में वहा के आदिवासी समुदाय जुटा है.

