केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सीमा सुरक्षा बल ‘बीएसएफ’ के महानिदेशक नितिन अग्रवाल और स्पेशल डीजी वाईबी खुरानिया को हटा दिया। अग्रवाल को बिग ‘बॉस’ यानी गृह मंत्री अमित शाह का विशेष करीबी बताया जाता है। दोनों शीर्ष अफसरों को इनके मूल कैडर में भेज दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इसके पीछे कई वजह बताई जा रही हैं। बीएसएफ के रिटायर्ड अफसर भी केंद्र सरकार के इस निर्णय पर हैरान हैं। पहली वजह ये बताई जा रही है कि जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ के मामले बढ़े हैं। उक्त अफसर किसी सटीक सिक्योरिटी पॉलिसी पर काम नहीं कर पाए। दूसरा, बीएसएफ में एकाएक कई अफसरों को इधर-उधर कर दिया गया। तीसरा, डीजी और एसडीजी के बीच में किसी मुद्दे पर तकरार हुई। यह मामला, एनएसए तक पहुंचा। वहां पर पीएम मोदी के चहेते एवं सेंट्रल पावर के टॉप फाइव पूल में शामिल व्यक्ति के साथ तेज आवाज में बातचीत की गई। नतीजा, दोनों अफसरों को एक साथ हटाने का आदेश जारी हो गया है।
केंद्र सरकार ने बीएसएफ के दोनों अधिकारियों के लिए अलग-अलग आदेश जारी किया है। उन्हें समय पूर्व ही उनके मूल कैडर में भेज दिया गया। सूत्रों का कहना है, जम्मू क्षेत्र में पिछले दिनों हुए आतंकी हमलों के दौरान पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) के पूर्व कमांडो द्वारा भारतीय सीमा में बतौर आतंकी, घुसपैठ किए जाने की बात सामने आई थी। जिस तरीके से भारतीय सुरक्षा बलों पर हमला हुआ, उसमें कई सवाल खड़े हुए थे। सामान्य आतंकी, सेना के वाहन पर लक्षित हमला कर भारी नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं हैं। इसके पीछे आईएसआई ने एसएसजी के पूर्व कमांडो को जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ कराई है।

बीएसएफ के पूर्व अफसरों का कहना है कि दोनों शीर्ष अधिकारियों को एक साथ हटाना, बल के इतिहास में ऐसा सख्त कदम कम ही देखने को मिलता है। बल के सूत्र बताते हैं, इसके पीछे कई वजह सामने आ रही हैं। करीब चार दर्जन अफसरों के तबादले का मामला, एक कारण बताया जा रहा है। बीएसएफ में ये अधिकारी लंबे समय से एक ही जगह पर तैनात थे। इनके मामले में मंत्रालय की मंजूरी ली गई, लेकिन इस पर विवाद खड़ा हो गया। यह बात ऊपर तक पहुंच गई।
तीसरा कारण यह बताया जा रहा है कि डीजी और एसडीजी के बीच तालमेल नहीं था। अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक, एसडीजी, डीजी को बिना सूचना दिए अमरनाथ यात्रा पर जाना चाहते थे। इस बात पर दोनों के बीच तीखा संवाद हुआ। यह मामला, एनएसए कार्यालय तक पहुंच गया। वहां भी इस मामले में तीखा संवाद होने की बात सामने आई। मोदी के चहेते और केंद्र सरकार के टॉप फाइव पावर सेंटर में शामिल व्यक्ति के सामने तेज आवाज में बातचीत की गई। नतीजा, दोनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाकर उनके मूल कैडर में भेजने का आदेश जारी कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि ये मामला बेहद गंभीर बन चुका था। इसके चलते पीएमओ, एनएसए और एमएचए, तीनों को इसमें शामिल होना पड़ा। ऐसा बताया गया है कि नितिन अग्रवाल, गृह मंत्री शाह के विश्वासपात्र माने जाते हैं। उनकी नियुक्ति के दौरान कई दूसरे वरिष्ठ अफसर भी बीएसएफ डीजी बनने की दौड़ में थे, लेकिन इसके बावजूद अग्रवाल को बल की कमान सौंपी गई। अब एक झटके में अग्रवाल को हटा दिया गया।
बीएसएफ के पूर्व एडीजी एसके सूद कहते हैं, इस घटना से बल के उत्साह पर बुरा असर पड़ सकता है। घुसपैठ तो कहीं भी हो सकती है, इससे इनकार नहीं है। जम्मू और पंजाब में तो 3 टीयर सिक्योरिटी सिस्टम है। अगर बीएसएफ से इस मामले में चूक हुई है, तो बाकी दो सिस्टम क्या कर रहे थे। सेना और पुलिस भी है। बीएसएफ तो पहले टीयर में है। पिछले दिनों अधिकांश आतंकी हमले, चिनाब के नॉर्थ में हुए हैं। वहां तो सेना तैनात है। बीएसएफ के अलावा सेकंड व थर्ड टीयर की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। बतौर एसके सूद, ये सिक्योरिटी पॉलिसी फेल्योर है। सरकार, इसकी जिम्मेदारी एक बल पर डाल रही है।
बता दें कि पिछले दिनों पाकिस्तान से लगते बॉर्डर की पुख्ता सुरक्षा के लिए बीएसएफ के दो हजार अतिरिक्त जवानों को जेएंडके भेजने की बात हुई थी। इंटेलिजेंस नेटवर्क की कार्यप्रणाली में बदलाव किया गया है। इन सबके बीच सोशल मीडिया में अमजद अयूब मिर्जा का एक ट्वीट खूब चर्चा में रहा है। हालांकि उसे लेकर सरकार या किसी एजेंसी की तरफ से कोई पुष्टि नहीं की गई। मिर्जा ने अपने ट्वीट में दावा किया है कि पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) के 600 कमांडो कुपवाड़ा और दूसरी जगहों पर छिपे हैं। ये बड़े आतंकी हमलों की प्लानिंग कर रहे हैं।
उन्होंने लिखा था, टेरर अटैक की प्लानिंग में पाकिस्तान सेना के दो बड़े अधिकारी शामिल हैं। सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर अमजद अयूब मिर्जा, जो ब्रिटेन में खुद को लेखक, ब्रॉडकास्टर और मानवाधिकार कार्यकर्ता बताते हैं, उन्होंने 28 जुलाई को लिखा था कि एसएसजी की एक पूरी बटालियन ने भारत में घुसपैठ कर ली है। मिर्जा ने कुपवाड़ा के आसपास, पाकिस्तानी कमांडो की कथित मौजूदगी का दावा किया था। पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी हमलों के लिए एसएसजी कमांडो को लोकल स्तर पर मदद मिल रही है। लोकल आतंकी संगठन भी दहशतगर्दों और पाकिस्तानी सेना की मदद कर रहे हैं।
जेएंडके में स्लीपर सेल भी एक्टिव हैं। भारतीय सीमा में ये स्लीपर सेल, एसएसजी की सप्लाई चेन का जरिया बने हैं। आतंकियों को इन्हीं लोगों के द्वारा ट्रांसपोर्ट की मदद दी जा रही है। अमजद अयूब मिर्जा ने आगे लिखा है, एसएसजी जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल आदिल रहमानी, जम्मू में आतंकी हमलों पर नजर रख रहे हैं। पाकिस्तानी फौज का लेफ्टिनेंट कर्नल शाहिद सलीम जंजुआ, हमलों की कमान संभाल रहा है। पाकिस्तानी कमांडो और दहशतगर्दों ने भारतीय सेना की 15 कोर से भिड़ने की योजना बनाई है। मिर्जा ने यह भी लिखा था कि पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में एसएसजी की दो और बटालियन मौजूद हैं। भारत में आतंकवाद की घटनाओं को अंजाम देने के लिए इन बटालियनों को तैयार किया गया है। इन्हें भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कराने का प्रयास किया जा रहा है।