चीन का मून मिशन चांद की सतह से मिट्टी लेकर धरती पर पहुंच गया है। इसी के साथ वह पहला देश बन गया है, जो चांद के अंधेरे हिस्से से सैंपल लाने में सफल रहा है। चीनी नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन का चैंग’ई-6 लैंडर 53 दिन बाद कैप्सूल में सैंपल लेकर धरती पर लौटा है।
अभी तक चांद पर जा चुके सभी 10 लूनर मिशन पास वाले हिस्से (जो हमें दिखता है) पर ही पहुंचे हैं। इनमें भारत और अमेरिका भी शामिल हैं। ऐसे में चांद ने फार साइड से सैंपल लाकर स्पेस रेस में अमेरिका को कड़ी चुनौती दी है। चैंग’ई मिशन सुबह करीब 11:30 बजे चीन के उत्तरी क्षेत्र में लैंड हुआ।
चांद के अंधेरे हिस्से पर रिसर्च बेस बनाना चाहता है चीन
CNN के मुताबिक, चैंग’ई-6 का री-एंट्री मॉड्यूल चीन के उत्तरी हिस्से में मंगलवार सुबह 11:30 बजे (भारतीय समय के मुताबिक) लैंड हुआ। इसके बाद एक सर्च टीम कुछ मिनटों के अंदर इस मॉड्यूल तक पहुंच गई। चीन के वैज्ञानिकों ने मिशन के सफल होने की जानकारी दी।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि इस मिशन की सफलता चीन के सपने को सच करने में मील का पत्थर साबित होगी। इसके जरिए चीन स्पेस पावर बनने के और करीब पहुंच गया है। इंसानों को भेजने के अलावा चीन 2030 तक चांद के साउथ पोल पर एक रिसर्च बेस बनाना चाहता है।
चांद की सतह से 2 किलो मिट्टी लाया चांद का मिशन
दरअसल, अब तक की रिसर्च में संभावना जताई गई है कि चांद के इस हिस्से पर बर्फ के तौर पर पानी मौजूद है। अमेरिका भी चांद के इसी हिस्से पर अपना बेस बनाना चाहता है। रिपोर्ट के मुताबिक, चैंग’ई-6 मिशन अपने साथ चांद की सतह से 2 किलो मिट्टी लेकर लौटा है।
चांद की सतह से सैंपल इकट्ठे करने के लिए ड्रिल और रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल किया गया था। इसके जरिए चांद पर मौजूद 4 अरब साल पुराने क्रेटर से मिट्टी निकाली गई। इसके बाद सैंपल को एक कैप्सूल में डालकर री-एंट्री व्हीकल में ट्रांसफर किया गया।
चीन के वैज्ञानिक अब सैंपल पर रिसर्च करेंगे। इस दौरान चांद के साथ ही धरती और सोलर सिस्टम के बनने को लेकर स्टडी की जाएगी। चीन की रिसर्च पूरी होने के बाद इसे दूसरे देशों से साझा किया जाएगा।
चीन के चैंग’ई-6 मिशन को वेन्चांग स्पेस साइट से लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था।
चांद के साउथ पोल एटकेन बेसिन पर लैंड हुआ था चैंग’ई-6
चैंग’ई-6 3 मई को साउथ पोल-एटकेन बेसिन पर लैंड हुआ था। यह चांद के तीन सबसे बड़े और प्रमुख जमीनी हिस्सों में से एक है। इसलिए इसकी साइंटिफिक वैल्यू बहुत ज्यादा है। चीन अपने इस मिशन के दौरान दूसरे देशों के पेलोड भी लेकर गया था। इनमें पाकिस्तान, फ्रांस, इटली और यूरोपियन स्पेस एजेंसी शामिल थे। इसका मकसद इन देशों के साथ स्पेस को-ऑपरेशन बढ़ाना था।
क्या होता है चांद का फार साइड
चांद का फार साइड वह हिस्सा है जो धरती से दूर है और इसे कभी-कभी चांद का अंधेरे वाला हिस्सा भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये हिस्सा हमें नजर नहीं आता है और इसके बारे में बहुत कम जानकारी है।
चीनी स्टेट मीडिया शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक चांद के दूर के हिस्से और धरती के बीच कम्युनिकेशन का समर्थन करने के लिए चीन 2024 की पहले 6 महीने के दौरान रिले सैटेलाइट क्यूकियाओ -2, या मैगपाई ब्रिज -2 को लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
चांद की 1731 ग्राम चट्टानें-मिट्टी लेकर लौटा था चीन का चैंग’ई-5
चीन ने साल 2004 में अपना लूनर मिशन लॉन्च किया था। 2007 से अब तक वह पांच रोबोटिक मिशन शुरू कर चुका है। चैंग’- 5, दिसंबर 2020 को चंद्रमा पर उतरा था। इस मिशन के तहत चांद की 1731 ग्राम चट्टानें और मिट्टी को पृथ्वी पर लाया जा सका था। इसे एक उपलब्धि माना गया था।
इससे पहले चीन का ही चैंग’ई-4 मिशन साल 2019 में चांद के फार साइड पर जाने वाला पहला मिशन था। चीन इकलौता ऐसा देश है जो चांद के दूसरे हिस्से तक अपना लैंडर भेज पाया है। चैंग’ई-4 मिशन का रोवर, जिसका नाम युतु 2 है, दुनिया में सबसे लंबे समय तक चलने वाले चंद्र रोवर है। यह करीब पांच सालों से चांद पर मौजूद है।