मालूम हो कि सीबीआई सिंफर में करोड़ों रुपए के हुए ऑनरेरियम घोटाले की जांच कर रही है। जांच में खुलासा हुआ है कि ऑनरेरियम के रूप में सबसे ज्यादा रकम लगभग 15 करोड़ रुपए पूर्व निदेशक (निलंबित) डॉ पीके सिंह को मिले हैं। उनके बाद मुख्य वैज्ञानिक डॉ एके सिंह को नौ करोड़ रुपए से ज्यादा मिले हैं। इसी तरह कई और वैज्ञानिक हैं, जिनको एक करोड़ से अधिक का भुगतान हुआ है।
ऑनरेरियम (प्रोत्साहन राशि) घोटाले के आरोपी सिंफर के वैज्ञानिकों को अब रंगदारी वसूलने वाले प्रिंस खान और अमन सिंह जैसे गैंगस्टरों का डर सता रहा है। सीबीआई जांच में ऑनरेरियम की राशि और नाम का खुलासा होने से कई वैज्ञानिक सहमे हुए हैं। इन वैज्ञानिकों को करोड़ों रुपए मिले हैं। इसलिए अब ये अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। कई वैज्ञानिक तो अपने बच्चों को स्कूल भेजने में एहतियात बरत रहे हैं। डर है कि कहीं उनसे रंगदारी की मांग न कर दी जाए।
वैज्ञानिकों ने कहा कि ऑनरेरियम अपराध नहीं है। आईआईटी से लेकर शोध और अनुसंधान से संबंधित सभी संस्थानों को यह प्रोत्साहन राशि मिलती है। यदि गलत तरीके से या तय सीमा से ज्यादा जिन्होंने लिया है तो उनके खिलाफ मामला बनता है। सीबीआई जांच कर रही है। जो तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुरूप कार्रवाई होगी।
कुछ वैज्ञानिकों नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जिस तरह मामले की चर्चा हो रही है, स्थिति उससे अलग है। कुछ वैज्ञानिकों को छोड़ दें तो सबको बड़ी रकम नहीं मिली है। हालांकि ऑनरेरियम के मुद्दे पर वैज्ञानिक खुलकर बात करने से परहेज करते हैं। अंदरखाने सूचना यहां तक है कि सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर इन वैज्ञानिकों ने सिंफर के निदेशक तक से बात की है।
जांच में कुछ तथ्य सामने आए भी हैं। ऑनरेरियम पर बैठक के दो दिन के अंदर भुगतान कर दिए जाने की बात है। नियम सभी वैज्ञानिकों की राय लेने, ऑनरेरियम वितरण के पूर्व वैज्ञानिक एवं राशि की जानकारी संस्थान में बोर्ड पर सभी की जानकारी के लिए प्रदर्शित करने आदि का प्रावधान है। सिंफर में इस गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया। इतना ही नहीं सीएसआईआर की ओर से रोक के बावजूद ऑनरेरियम का भुगतान कर दिया गया।
सीएसआईआर (काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) की सभी लैब में ऑनरेरियम भुगतान का प्रावधान है। वैसे सिंफर में सीएसआईआर के तय मानदंडों का उल्लंघन कर भुगतान किया गया। ऐसा किसी और लैब में नहीं हुआ है। अंदरखाने सूचना है कि तय सीमा से कई गुना ज्यादा पैसा ऑनरेरियम के रूप में बांटा गया
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