ISRO ने अब तक 61 सालों में 34 देशों के 424 सैटेलाइट्स को लॉन्च किया है। दुनिया की नंबर एक स्पेस एजेंसी है, जो कॉमर्शियल लॉन्चिंग की बादशाह है। इसके बावजूद इसरो की हर लॉन्चिंग सफल नहीं होती। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग विंडो 12 से 19 जुलाई है। संभवतः 13 जुलाई 2023 की दोपहर ढाई बजे लॉन्चिंग होगी। लेकिन क्या ये तारीख इसरो के लिए सफलता लेकर आएगी?
क्या है चंद्रयान-3 ?
चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से एलवीएम3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-III) द्वारा लॉन्च किया जाएगा। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का ही अगला प्रोजेक्ट है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। इसमें लैंडर और रोवर शामिल हैं। यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखेगा, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं, एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है और जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने में असफल हुआ, उन पर फोकस किया गया है। चंद्रयान -3 के लॉन्च का एलान चंद्रयान -2 के लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने के चार साल बाद हुआ है। चंद्रयान-3 मिशन के जुलाई में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के उस हिस्से तक लॉन्च होने की उम्मीद है, जिसे डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता।
इसके चरण कौन-कौन से हैं?
चंद्रयान-3 को एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रणोदन मॉड्यूल को मिलाकर बनाया गया है जिसका कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। अकेले प्रणोदन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम है जो लैंडर और रोवर को 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा में ले जाएगा। लैंडर मॉड्यूल लैंडर के कम्प्लीट कॉन्फिगरेशन को बताता है। रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। रोवर चंद्रयान -2 के विक्रम रोवर के जैसे ही होगा, लेकिन सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने में मदद के लिए इसमें सुधार किए गए हैं। प्रणोदन मॉड्यूल 758 वाट बिजली, लैंडर मॉड्यूल 738 वाट और रोवर 50 वाट उत्पन्न करेगा।
इसरो की सफलताएं
इसरो 123 स्पेसक्राफ्ट मिशन, 91 लॉन्च मिशन, 424 विदेशी सैटेलाइट्स, 15 स्टूडेंट सैटेलाइट्स, 2 री-एंट्री मिशन, तीन भारतीय प्राइवेट सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुका है। इन्हें आपस में जोड़ा नहीं जा सकता। क्योंकि लॉन्च मिशन के साथ ही स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट मिशन होते हैं। इसरो ने देश के लिए कुल 123 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं। जिनमें संचार, आपदा प्रबंधन, इंटरनेट, रक्षा, मौसम और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों को सेवाएं देने वाले उपग्रह हैं।
ISRO के इतिहास में 13 जुलाई को दूसरी लॉन्चिंग
चंद्रयान-3 अगर 13 जुलाई 2023 की दोपहर 2.30 बजे छोड़ा जाता है, तो इस तारीख में इसरो की दूसरी लॉन्चिंग होगी। इससे पहले 13 जुलाई 1988 में SROSS की लॉन्चिंग की थी, जो फेल हो गई थी। यह एक निगरानी सैटेलाइट था, जिसे ASLV-D2 से लॉन्च किया गया था।
कितनी करें जुलाई-अगस्त महीने में सफलता की उम्मीद?
35 साल पहले 13 जुलाई 1988 को इसरो ने SROSS की लॉन्चिंग की थी, जो फेल हो गई थी। इसरो संभवतः फिर इसी तारीख को यानी 13 जुलाई 2023 की दोपहर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग कर रहा है। इसरो के लिए जुलाई और अगस्त का महीना कभी भी लॉन्चिंग के हिसाब से बहुत सही नहीं रहा है। सक्सेस रेट कम रहा है। इसरो ने 1975 से अब तक जुलाई 11 लॉन्चिंग हुई हैं. अगस्त में 08 लॉन्चिंग हुई है। जुलाई महीने में तीन लॉन्चिंग फेल हुई थी।
पहली- 10 जुलाई 2006 को इनसैट-4सी, दूसरी – 22 जुलाई 1988 को इनसैट-1सी और तीसरी – 13 जुलाई 1988 को एसआरओएसएस की लॉन्चिंग फेल हुई थी। यानी सक्सेट रेट करीब 72.72 फीसदी रही। वहीं अगस्त में 8 लॉन्चिंग में से तीन लॉन्चिंग विफल रही हैं। ये विफल लॉन्चिंग थीं – 10 अगस्त 1979, 31 अगस्त 2017 और 12 अगस्त 2021 को। यानी सक्सेस रेट 62.5 फीसदी।
इन महीनों में इसरो को 100% सफलता
जनवरी, फरवरी, मई, अक्टूबर और नवंबर में लॉन्चिंग करने पर इसरो को 100 फीसदी सफलता मिलती है। इसरो ने 44 साल में यानी 1975 से अब तक अलग-अलग वर्षों में जनवरी महीने में 10 स्पेसक्राफ्ट मिशन किए, सभी सफल रहे। इसी तरह फरवरी में 9, मई में 10, अक्टूबर में 7 और नवंबर में 11। ये सभी 100 फीसदी सफल रहे।
इन महीनों में सक्सेस रेट 87 से 90%
मार्च, अप्रैल, जून, सितंबर और दिसंबर में इसरो को 87 से 90 फीसदी सफलता मिली है। अलग-अलग वर्षों में मार्च महीने में इसरो ने कुल 8 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए। इनमें से एक 24 मार्च 1987 को फेल हो गया था। सक्सेस रेट रहा 87.5%. जून महीने में 9 लॉन्चिंग हुई लेकिन 4 जून 1997 की लॉन्चिंग फेल रही. यानी सक्सेस रेट है 88.88%।
दिसंबर महीने में इसरो ने 11 लॉन्चिंग की. लेकिन 25 दिसंबर 2010 को की गई लॉन्चिंग फेल हो गई। सक्सेस रेट 90.90% रही। सितंबर महीने में इसरो ने 11 लॉन्चिंग की। इनमें से 20 सितंबर 1993 को की गई लॉन्चिंग फेल हो गई। सक्सेस रेट 90.90% रहा है। अप्रैल महीने में इसरो ने सबसे ज्यादा 16 लॉन्चिंग की हैं। इनमें से अब तक 10 अप्रैल 1982 की लॉन्चिंग फेल रही।
झारखंड समाचार पर नवीनतम अद्यतन झारखंड समाचार पोर्टल, TheSocialBharat.com के माध्यम से प्राप्त करें। झारखंड के विकास पर निरंतर समाचार कवरेज और समय पर अपडेट के साथ सूचित रहें। जमशेदपुर की ताजा खबरों से अपडेट रहें और हमारे प्लेटफॉर्म पर व्यापक समाचार कवरेज तक पहुंचें। जमशेदपुर न्यूज़ अपडेट्स के साथ जुड़े रहें और इस क्षेत्र से नवीनतम अपडेट प्राप्त करने से कभी न चूकें।