वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज साल 2024 का अंतरिम बजट पेश करेंगी। बजट में ऐसी कई बातों और शब्दों का उल्लेख होता है, जिन्हें हम आमतौर पर सुनते हैं, समझने का अहसास भी होता है लेकिन उसकी परिभाषा और व्याख्या के बारे में हमें पता नहीं होता। आइए बजट में इस्तेमाल होने वाले ऐसे ही शब्दों के मायने सरल व आसान भाषा में समझने की कोशिया करते हैं?
- क्या है बजट? (What is Budget)
बजट का मतलब पढ़े-लिखे आदमी के लिए भी समझना टेढ़ी खीर होता है। बजट शब्द फ्रेंच भाषा के शब्द बोजेत (Bougette) से बना है। इसका अर्थ होता है छोटा बैग। फ्रेंच भाषा में यह शब्द लैटिन शब्द ‘बुल्गा’ से लिया गया है। इसका अर्थ है ‘चमड़े का थैला’। प्राचीन समय में बड़े व्यापारी अपने सारे मौद्रिक दस्तावेज एक थैले में रखते थे। इसी तरह धीरे-धीरे इस शब्द का प्रयोग संसाधनों को जुटाने के लिए किए गए हिसाब-किताब से जुड़ गया। इस तरह सरकारों के साल भर के आर्थिक बही-खाते को नाम मिला ‘बजट’। सरकार द्वारा देश का आय-व्यय लेखाजोखा पेश करने की शुरुआत ब्रिटेन से हुई थी। ब्रिटेन के वित्त मंत्री संसद में जब आय-व्यय का लेखाजोखा पेश करने आते तो संबद्ध दस्तावेज चमड़े के एक लाल बैग में रखकर लाते। उस बैग को फ्रेंच में ‘बजेटी’ कहा जाता था, जो अंग्रेजी में भाषांतर करते समय ‘बजट’ हो गया।
- राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit)
सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को आर्थिक शब्दावली में ‘राजकोषीय घाटा’ कहा जाता है। इससे इस बात की जानकारी होती है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी। कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है। यानी, सरकार के खर्च और आमदनी के अंतर को वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा कहा जाता है।
- चालू खाता घाटा (Current Account Deficit)
जब किसी देश की वस्तुओं, सेवाओं और ट्रांसफर का आयात इनके निर्यात से ज्यादा हो जाता है, तब चालू खाते घाटा की स्थिति पैदा होता है। यानी, जब भारत में बनी चीजों और सेवाओं का बाहर निर्यात होता है तो इससे भुगतान हासिल होता है। दूसरी ओर, जब कोई भी वस्तु या सर्विस आयात की जाती है तो उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। इस तरह, देश में प्राप्त भुगतान और बाहरी देशों को चुकाई गई कीमत में जो अंतर आता है वह चालू खाता घाटा कहलाता है।
- सरकारी राजस्व व व्यय (Government Revenue and Expenditure)
सरकारी राजस्व सरकार को उसके सभी स्रोतों से होने वाली आमदनी होता है। इसके विपरीत सरकार जिन-जिन मदों में खर्च करती है उसे सरकारी व्यय कहते हैं। यह सरकार की वित्तीय नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
- बजट आकलन (Budget Estimation)
वित्तमंत्री संसद में बजट प्रस्ताव रखते हुए विभिन्न तरह के कर और शुल्क के माध्यम से होने वाली आमदनी और योजनाओं व अन्य तरह के खर्चों का लेखा पेश करती हैं, उसे आमतौर पर बजट आकलन कहा जाता है।
- वित्त विधेयक (Finance Bill)
इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं। इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है। संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है।
- राजस्व सरप्लस (Revenue Surplus)
यदि राजस्व प्राप्तियां राजस्व खर्च से अधिक हैं, तो यह अंतर राजस्व सरप्लस की श्रेणी में होगा।
- विनियोग विधेयक (Appropriation Bill)
विनियोग विधेयक का सीधा अर्थ यह है कि तमाम तरह के उपायों के बावजूद सरकारी खर्चे पूरे करने के लिए सरकार की कमाई नाकाफी है और सरकार को इस मद के खर्चे पूरे करने के लिए संचित निधि से धन की जरूरत है। एक तरह से वित्तमंत्री इस विधेयक के माध्यम से संसद से संचित निधि से धन निकालने की अनुमति मांगते हैं।
- पूंजी बजट (Capital Budgeting)
बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी का ब्योरा पेश करते हैं, उनमें पूंजीगत आय भी शामिल होती है। यानी, इसमें सरकार द्वारा रिजर्व बैंक और विदेशी बैंक से लिए जाने वाले कर्ज, ट्रेजरी चालानों की बिक्री से होने वाली आय के साथ ही पूर्व में राज्यों को दिए गए कर्जों की वसूली से आए धन का हिसाब-किताब भी इस पूंजी बजट का हिस्सा है।
- संशोधित आकलन (Revised Estimate)
यह बजट में खर्चों के पूर्वानुमान और वास्तविक खर्चों के अंतर का ब्योरा है।
- पूंजीगत भुगतान या व्यय (Capital Expenditure or Capex)
सरकार को किसी तरह की परिसंपत्ति खरीदने के लिए जो भुगतान देना होता है, वह इस श्रेणी में आता है। केंद्र सरकार द्वारा राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और सार्वजनिक उपक्रमों को मंजूर कर्ज और अग्रिम राशि भी पूंजी खर्च के रूप में जाना जाता है।
- पूंजी प्राप्तियां (Capital Receipts)
रिजर्व बैंक अथवा अन्य एजेंसियों से प्राप्त कर्ज, ट्रेजरी चालान की बिक्री से होने वाली आमदनी के साथ ही राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को दिए गए पिछले कर्जों की उगाही और सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचने से प्राप्त धन भी इसी श्रेणी में आते हैं।
- अनुदान मांग (Demand for Grants)
संचित कोष से मांगे गए धन के खर्चों का अनुमानित लेखा-जोखा ही अनुदान मांग है।
- योजना खर्च (Plan Expenses or Plan Expenditure)
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता के अलावा केंद्र सरकार की योजनाओं पर होने वाले सभी तरह के खर्चों को इसमें शामिल किया जाता है।
- गैर योजना खर्च (Non Plan Expenditure)
इसमें ब्याज की अदायगी, रक्षा, सब्सिडी, डाक घाटा, पुलिस, पेंशन, आर्थिक सेवाएं, सार्वजनिक उपक्रमों को दिए जाने वाले कर्ज और राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले कर्ज शामिल होते हैं।