जमशेदपुर: सहारा इंडिया के नौ निदेशकों के पासपोर्ट को ब्लाक कर उन्हें विदेश जाने से रोका जाए।विश्व भारती जनसेना संस्थान के राष्ट्रीय सचिव नागेंद्र कुमार कुशवाहा ने सोमवार को डीजीपी अनुराग गुप्ता को ज्ञापन भेजकर यह मांग की है।ज्ञापन में कहा गया है कि झारखंड के विभिन्न थानों में दर्ज मामलों के तहत निवेशकों का 40 करोड़ रुपये का भुगतान सहारा इंडिया को करना है.
इसके अलावा एक करोड़ से अधिक निवेशकों का लगभग 40 हजार करोड़ रुपये परिपक्वता राशि हड़पने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।आशंका है कि जिस प्रकार से अनुसंधान बढ़ रहा है सहारा इंडिया के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। सुब्रत राय के निधन के बावजूद उनके दोनों पुत्र विदेश से वापस नहीं लौटे।
इसी तरह से केस में आरोपित अन्य अधिकारी भी विदेश भाग सकते हैं इसलिए अनुसंधान पूरा होने तक इन्हें विदेश जाने से रोका जाए।मालूम हो कि 24 जनवरी को डीजीपी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी जिसमें सहारा इंडिया के अधिकारियों को झारखंड के निवेशकों को उनकी परिपक्वता राशि चुकाने के लिए 15 दिनों का समय दिया था। इसके बाद सभी निदेशकों की गिरफ्तारी की चेतावनी दी गई है।
प्राथमिकी में इन अधिकारियों को बनाया गया है आरोपित
सहारा इंडिया ग्रुप की वाइस चेयरमैन स्वप्न राय, डिप्टी चेयरमैन जयब्रत राय, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुशांतो राय, सिमांतो राय, डिप्टी मैनेजिंग वर्कर ओमप्रकाश श्रीवास्तव, सहारा इंडिया को-आपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के चेयरमैन देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव, रांची परिक्षेत्र के प्रमुख सह निदेशक नीरज कुमार पाल, पूर्व जोनल मैनेजर सुंदर झा व जोनल मैनेजर रांची संजीव कुमार.
निवेशकों को हुआ नुकसान
गौरतलब है कि यह सहारा इंडिया का प्रमुख वित्तीय घोटाला है, जो सहारा इंडिया परिवार द्वारा चलाया गया था। यह घोटाला 2009 में सामने आया था, जब सहारा इंडिया के चेयरमैन सुब्रत राय ने अपनी कंपनी के शेयरों को बेचने के लिए निवेशकों से पैसे इकट्ठा करने का दावा किया था।हालांकि, बाद में यह पता चला कि सहारा इंडिया ने निवेशकों से पैसे इकट्ठा करने के लिए झूठे और भ्रामक दावे किए थे। कंपनी ने निवेशकों को आश्वासन दिया था कि उनके पैसे सुरक्षित हैं और उन्हें उच्च रिटर्न मिलेगा।लेकिन वास्तव में, सहारा इंडिया ने निवेशकों के पैसे का दुरुपयोग किया और उन्हें कभी रिटर्न नहीं दिया। इस घोटाले में लाखों निवेशकों को चूना लगाया गया और उन्हें अपने पैसे की क्षति हुई।