रांची सहित राज्यभर में सामान्य तरीके से बालू नहीं मिल रहा है। 10 जून से बालू उत्खनन पर एनजीटी की रोक लगने से पहले रांची डीसी ने दावा किया था कि जिले में 13 लाख सीएफटी बालू का स्टॉक है। मानसून में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। लेकिन, दरअसल, स्टॉकिस्टों ने बिहार-बंगाल से बालू लाकर रांची में स्टॉक करने का हवाला देकर लाइसेंस ले लिया, लेकिन वे बिहार-बंगाल के जिस रास्ते से बालू लाए हैं, उस रास्ते की टोल पर्ची नहीं दे पाएं। जिस वाहन से बालू आया, उस वाहन का जीपीएस रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। ऐसे में स्पष्ट नहीं हो रहा है कि स्टॉक में रखा बालू बिहार-बंगाल से लाया गया है या रांची के ही घाटों से अवैध रूप से निकालकर जमा किया गया है। नतीजतन, किसी भी स्टॉकिस्ट को बालू बेचने की अनुमति नहीं मिली है। दूसरी ओर, सरकार ने रांची जिला के जिन 19 घाटों का टेंडर किया था, उन घाटों से भी बालू नहीं निकाला गया। अब खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं।
बालू नहीं मिलने से 1 लाख मजदूर हुए बेरोजगार
- रांची में पिछले वर्ष 25 हजार रुपए प्रति हाइवा बालू मिल रहा था, अब 50 से 55 हजार रुपए में मिल रहा है।
- बालू महंगा मिलने की वजह से छोटे-मंझोले लोगों ने घर का निर्माण कार्य बंद कर दिया है। पीएम व बिरसा आवास का निर्माण बंद।
- शहरी क्षेत्र में 100 से अधिक सड़क-नाली का निर्माण रुक गया है, फ्लाईओवर व पुलिया निर्माण कार्य भी प्रभावित।
लिखित आदेश नहीं, मौखिक निर्देश पर ही प्रशासन ने लगाई रोक
बालू के स्टॉकिस्ट से टोल पर्ची और जीपीएस रिकॉर्ड लेने का कोई भी लिखित आदेश नहीं है। स्टॉकिस्ट को सिर्फ चालान देना है। लेकिन, रांची प्रशासन ने ऊपर के अधिकारियों के मौखिक निर्देश के बाद स्टॉकिस्ट से टोल पर्ची और जीपीएस रिकॉर्ड देना अनिवार्य कर दिया है। हालांकि, इस पर स्पष्ट रूप से बोलने से सभी अधिकारी बच रहे हैं। इधर, स्टॉकिस्टों ने प्रशासन को पत्र लिखकर बताया है कि बिहार और बंगाल से बालू लाने के लिए किराए पर ट्रक और ट्रेलर लिया गया था। दो माह पहले बालू लाया गया। अब वो वाहन चालक कहां गाड़ी चला रहे हैं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। क्योंकि, टोल प्लाजा की पर्ची और जीपीएस का रिकॉर्ड उन्हीं के पास है।
इन्हें मिला स्टॉकिस्ट लाइसेंस
लाइसेंस इदू खान, आशीष कुमार साहू, फर्स्ट च्वॉइस रेडीमिक्स, फ्रंट रनर रेडी मिक्स कंक्रीट, हेतमसरिया प्लास्टिक प्रा., मनोज कुमार महतो, भृगु राम प्रसाद, भूतनाथ महतो, एवरग्रीन इंटरप्राइजेज, गुप्ता ट्रेडर्स, एनआर इंटरप्राइजेज, पलक इंटरप्राइजेज, पनसा इंटरप्राइजेज, राजू राय, एसएस इंटरप्राइजेज, संजय कुमार मोदक, शशधर महतो, शशि भूषण महतो, शिव कुमार, एसकेएस ऑटोमोबाइल समेत अन्य।
अगर बालू बेचने की अनुमति मिलती तो कम होती कीमत
बोड़ेया के बालू ब्रोकर सुमित कुमार ने बताया कि कुछ घाटों से चोरी-छिपे बालू निकाला जा रहा है। ग्रामीणों और पुलिस की मिलीभगत से बालू शहर तक लाया जा रहा है, लेकिन इसके लिए काफी पैसा वसूला जा रहा है। अगर स्टॉकिस्ट को बालू बेचने की अनुमति मिलती, तो ऐसी स्थिति नहीं रहती। बालू की कीमत में भी कमी आती।