Teacher Student Protest: बिना निगरानी दर्जनों छात्र स्कूल से निकले‚ शिक्षक के तबादले पर जताया विरोध , सरायकेला जिले के कुकड़ू प्रखंड के मध्य विद्यालय में सोमवार को एक ऐसा घटनाक्रम सामने आया, जिसने स्कूल प्रशासन की कार्यशैली और छात्रों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। विद्यालय के दर्जनों छात्र-छात्राएं अपने प्रिय शिक्षक संजीव बनर्जी के तबादले के विरोध में स्कूल से निकलकर पैदल ही प्रखंड कार्यालय जा पहुंचे।
इस विरोध प्रदर्शन में सबसे चिंता की बात यह रही कि छात्रों के साथ कोई भी वयस्क, शिक्षक या अभिभावक मौजूद नहीं था। इस दौरान वे सड़क मार्ग से गुजरे, जहां किसी भी तरह की दुर्घटना की आशंका बनी हुई थी।
संजीव बनर्जी को बताया प्रेरणास्रोत‚ छात्रों की भावनाएं उमड़ीं
छात्रों ने स्पष्ट रूप से कहा कि संजीव बनर्जी न सिर्फ एक अच्छे शिक्षक हैं, बल्कि वे विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक भी रहे हैं। उनके पढ़ाने की शैली, व्यवहार और अनुशासन ने छात्रों के दिलों में गहरी जगह बनाई। जब उनके तबादले की खबर आई, तो छात्रों ने आवेश में आकर विद्यालय छोड़ दिया और प्रखंड कार्यालय जाकर तबादला रद्द करने की मांग करने लगे।स्कूल प्रशासन की भूमिका पर उठे सवालइस पूरे घटनाक्रम में सबसे गंभीर प्रश्न विद्यालय प्रशासन की भूमिका को लेकर उठ रहा है। आखिर इतनी बड़ी संख्या में कम उम्र के बच्चे स्कूल से बाहर कैसे निकले, उन्हें किसी ने रोका क्यों नहीं, और उनकी निगरानी का जिम्मा किसका था? इस लापरवाही को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
उनका कहना है कि बच्चों की भावनाएं सही हैं, लेकिन सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। बच्चों को सड़क पर यूं छोड़ना बड़ी दुर्घटना को न्यौता देना है।
शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच‚ कार्रवाई के संकेत
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी संतोष मिश्रा ने त्वरित प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्हें जानकारी मिली, जांच शुरू कर दी गई है। यदि जांच में यह सामने आता है कि बच्चों को बिना अनुमति स्कूल से बाहर जाने दिया गया, तो संबंधित शिक्षक और प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।श्री मिश्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि विद्यालय अवधि के दौरान छात्रों को बाहर ले जाने के लिए अभिभावकों की सहमति और प्रशासन की अनुमति आवश्यक होती है। इस मामले में स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन हुआ है।
बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि‚ नियमों की अनदेखी नहीं
यह घटना साफ दर्शाती है कि भले ही शिक्षक और छात्र के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत हो, लेकिन सुरक्षा नियमों की अनदेखी बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। शिक्षा विभाग का यह भी कहना है कि इस तरह के मामलों में शिक्षकों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जाएगी।