वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश करेंगी। इस दौरान होने वाले बदलावों पर विभिन्न सेक्टर्स की नजर बनी हुई है। करदाताओं को इस बार के बजट में भी वित्त मंत्री से राहत की उम्मीद है। आइए जानते हैं बजट में होने वाले किन बदलावों पर करदाताओं की नजर बनी हुई है।
सरकार ने बजट 2023 में कई राहत भरे एलान किए थे। इसके बावजूद इस साल भी यह उम्मीद की जा रही है कि दोनों टैक्स रिजीम (नए और पुराने) के तहत वित्त मंत्री इस बार भी बुनियादी छूट की सीमा (Basic Exemption Limit) को कम से कम 50,000 रुपये तक बढ़ा सकती हैं। करदाता इसे बढ़ाकर 1,00,000 रुपये करने की उम्मीद कर रहे हैं। बुनियादी छूट सीमा में बढ़ोतरी से सभी करदाताओं की टैक्स देनदारी कम होगी, जिससे नेट टेक होम सैलरी में इजाफा होगा।
वर्तमान में किसी अधिसूचित पेंशन योजना (जैसे NPS) में एक कर्मचारी को वित्तीय वर्ष के दौरान किए गए पूरे योगदान पर टैक्स कटौती में छूट की अनुमति दी जाती है। केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारियों की ओर से इस मद में 14% वेतन के योगदान का प्रावधान है जबकि अन्य कर्मचारियों के मामले में यह सीमा 10% है। इस तरह सरकार और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की कर देयता में असमानता है। इस बार के बजट से करदाता उम्मीद कर रहे हैं कि सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों के कर्मचारियों को पेंशन योजना में 14 प्रतिशत योगदान की अनुमति मिले, ताकि उन्हें आयकर में बराबर छूट मिल सके।
मौजूदा आयकर प्रावधान के तहत पुरानी और सरलीकृत नई कर व्यवस्था के तहत वेतनभोगी करदाताओं को 50,000 रुपये की मानक कटौती (Standard Deduction) की अनुमति है। जीवन यापन की लागत में वृद्धि को देखते हुए करदाताओं की अपेक्षा है कि सरकार वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये करने पर विचार करे।
एचआरए (House Rent Allowance) पर सेक्शन 10(13A) के तहत आयकर में छूट मिलती है। वर्तमान में, आयकर प्रावधान, धारा 10 (13 ए) के उद्देश्य के लिए केवल दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को मेट्रो शहर माना जाता है। इन मेट्रो शहरों के कर्मचारियों के लिए एचआरए छूट की गणना का आधार मूल वेतन का 50% होता है। वहीं बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जो सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में से हैं, के कर्मचारियों के लिए एचआरए छूट की गणना का आधार मूल वेतन का 40% है। हाल के दिनों में ये शहर भी भरपूर रोजगार प्रदान करते हैं। इसके अलावा, इन शहरों में रहने की लागत में वृद्धि हुई है। इसलिए, इन शहरों में रहने वाले नौकरीपेशा लोगों की अपेक्षा है कि बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे को एक मेट्रो शहर माना जाए, ताकि यहां रहने वाले कर्मचारियों को भी मेट्रो शहरों के बराबर ही कर लाभ मिल सके।
मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, यदि संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपये या उससे अधिक है और संपत्ति बचने वाला भारतीय है तो 1% टीडीएस के रूप में जमा करने की आवश्यकता होती है। पर यदि संपत्ति बेचने वाला एनआरआई हो तो टीडीएस के अनुपालन की प्रक्रिया काफी जटिल हो जाती है। एनआरआई के मामले में टीडीएस कटौती ऊंचे दर पर होती है और ऐसे मामले में खरीदार को भी टैन लेने, कर जमा करने और ई-टीडीएस रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता होती है। करदाताओं को उम्मीद है कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री टीडीएस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कदम उठाएंगी।
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