Sonari Suicide Case: जमशेदपुर के सोनारी थाना क्षेत्र के सरदार अखाड़ा इलाके से एक दर्दनाक खबर सामने आई है, जहाँ एक 23 वर्षीय युवक शाहिल मुंडा ने बीती रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना मंगलवार देर रात करीब 2:10 बजे की बताई जा रही है। इस आत्महत्या की खबर ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया है।मृतक युवक शाहिल मुंडा स्थानीय स्तर पर साउंड डीजे का कार्य करता था और काफी मेहनती माना जाता था।
वह अपने परिवार के साथ सरदार अखाड़ा में ही रहता था। लोगों का कहना है कि शाहिल मिलनसार, खुशमिजाज और मेहनती स्वभाव का था। उसकी आत्महत्या की खबर सुनकर ना सिर्फ परिजन बल्कि आसपास के लोग भी हैरान हैं। किसी को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि ऐसा ज़िंदादिल युवक यह कदम उठा सकता है।
घटना की सूचना पाकर सोनारी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए एमजीएम अस्पताल भेज दिया। पुलिस आत्महत्या के पीछे के कारणों की जांच में जुट गई है। प्राथमिक रूप से किसी सुसाइड नोट की बरामदगी नहीं हुई है, हालांकि पुलिस शाहिल के मोबाइल फोन और डिजिटल उपकरणों की जांच कर रही है ताकि आत्महत्या के पीछे की वजहों का पता लगाया जा सके।परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतक के पिता ने पुलिस को बताया कि शाहिल देर रात तक अपने कमरे में था और किसी भी तरह की असामान्य गतिविधि नहीं दिखी।
जब सुबह दरवाजा नहीं खुला तो परिवार वालों ने खिड़की से झांका और युवक को फंदे से लटका पाया। इसके बाद दरवाजा तोड़कर अंदर जाकर उसे उतारा गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।स्थानीय लोगों के मुताबिक, शाहिल का किसी से कोई विवाद नहीं था और न ही उसने कभी किसी मानसिक परेशानी की बात की थी। ऐसे में पुलिस आत्महत्या की वजह को लेकर कई एंगल से जांच कर रही है—जैसे कि आर्थिक तंगी, व्यक्तिगत तनाव, या किसी रिश्ते में विवाद।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आत्महत्या का मामला बेहद संवेदनशील है और इसे हर पहलू से जांचा जाएगा। यदि किसी के द्वारा मानसिक उत्पीड़न या उकसावे का संदेह सामने आता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।यह घटना एक बार फिर युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। अक्सर देखने में आता है कि युवा वर्ग अपने तनाव या अवसाद को साझा नहीं कर पाता और अंत में यह घातक कदम उठा लेता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि परिवार, स्कूल, समाज और सरकार को मिलकर एक मजबूत मानसिक स्वास्थ्य समर्थन प्रणाली खड़ी करनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।इस घटना ने न केवल एक परिवार को गहरे दुख में डाला है, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे एक युवा, जो मेहनती और सामाजिक था, अचानक ऐसी त्रासदी का हिस्सा बन गया।