Seraikela RJD Clash: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के जिला अध्यक्ष पद को लेकर सरायकेला में गंभीर अंतर्कलह उभरकर सामने आया है। रविवार को आदित्यपुर के इमली चौक, जहां भगवान बिरसा मुंडा और बाबा तिलका मांझी की प्रतिमाएं स्थित हैं, वहां एक विरोध सभा का आयोजन हुआ। इस सभा का नेतृत्व राजद के वरिष्ठ नेता शकला मार्डी ने किया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में आदिवासी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
शकला मार्डी की दावेदारी और कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन
सभा के दौरान कार्यकर्ताओं ने जोरदार नाराजगी जाहिर की कि शकला मार्डी को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया गया। उनका कहना था कि चूंकि सरायकेला विधानसभा एक अनुसूचित जनजाति क्षेत्र है, ऐसे में आदिवासी समुदाय से जिलाध्यक्ष चुना जाना चाहिए था। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने शकला मार्डी जैसे ज़मीनी नेता की उपेक्षा की, जिससे कार्यकर्ताओं में आक्रोश है।
“पूंजीपतियों ने गुमराह किया प्रदेश नेतृत्व” — शकला मार्डी का बयान
शकला मार्डी ने सभा को संबोधित करते हुए सीधे आरोप लगाए कि कुछ पूंजीपतियों और स्वार्थी तत्वों ने प्रदेश नेतृत्व को गुमराह कर दिया, जिसके कारण उनकी दावेदारी को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल एक व्यक्ति की उपेक्षा नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज की अनदेखी है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “मैं वर्षों से लालू प्रसाद यादव के विचारों को गांव-गांव पहुंचा रहा हूं, लोगों को पार्टी से जोड़ रहा हूं, लेकिन आज वही पार्टी हमारी पहचान को नजरअंदाज कर रही है।”
प्रतीकात्मक स्थान पर सभा, आदिवासी अस्मिता का सवाल
सभा का आयोजन जानबूझकर बिरसा मुंडा और तिलका मांझी की प्रतिमाओं के समीप किया गया, जो इस विरोध को केवल संगठनात्मक विवाद तक सीमित नहीं रखता, बल्कि इसे आदिवासी अस्मिता और अधिकार से भी जोड़ता है। वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह केवल राजनीतिक नियुक्ति नहीं, बल्कि सामाजिक प्रतिनिधित्व का भी सवाल है।
राजद नेतृत्व पर दबाव बढ़ता हुआ
इस विरोध के बाद साफ है कि राजद प्रदेश नेतृत्व पर अब दबाव बढ़ने लगा है। अगर पार्टी जल्द ही आदिवासी समुदाय की नाराजगी को दूर करने की पहल नहीं करती, तो आंतरिक फूट और क्षेत्रीय असंतोष गहराने की आशंका है — जिसका असर आगामी चुनावों में भी दिखाई दे सकता है।