Sarna Code protest: सरना कोड लागू करो, फिर करो जातीय जनगणना: पूर्वी सिंहभूम में आदिवासी संगठनों का तीर-धनुष जुलूसपूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त कार्यालय के समक्ष आज झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बैनर तले विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सरना धर्म कोड की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया।
पारंपरिक तीर-धनुष और पारंपरिक वेशभूषा में सजे आदिवासी महिलाएं और पुरुष जुलूस निकालते हुए समाहरणालय पहुंचे और धरना-प्रदर्शन किया।प्रदर्शनकारी नेताओं का स्पष्ट कहना था कि वे जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जब तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं दी जाती, तब तक जनगणना की प्रक्रिया अधूरी और पक्षपातपूर्ण मानी जाएगी।
झामुमो नेताओं और आदिवासी प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार पर आदिवासी अस्मिता की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि अगर सरना धर्म कोड को जल्द लागू नहीं किया गया, तो पूरे राज्य में व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा।
बाहरगोड़ा से झामुमो विधायक समीर मोहंती ने कहा, “सरना धर्म सिर्फ एक आस्था नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान है। जब तक इसे संविधान में मान्यता नहीं दी जाती, तब तक हम जातीय जनगणना को स्वीकार नहीं करेंगे। यह हमारी आत्मा का सवाल है।”प्रदर्शनकारियों का कहना था कि झारखंड के साथ-साथ उड़ीसा, बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी आदिवासी समुदाय अपने धर्म को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
झामुमो का संगठन जहां-जहां है, वहां सरना धर्म कोड के लिए एकजुट आंदोलन चलाया जा रहा है। उनका दावा है कि 2021 की जनगणना से पहले ही सरना कोड की मांग की गई थी, लेकिन अब तक सरकार ने इस पर ठोस फैसला नहीं लिया है।
धरना स्थल पर मौजूद कई वक्ताओं ने कहा कि सरना धर्म कोड की मान्यता से आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक स्वतंत्रता को संवैधानिक संरक्षण मिलेगा। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह जल्द से जल्द इस मुद्दे पर निर्णय ले, अन्यथा यह आंदोलन और तेज होगा।
आज का प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन पूरे क्षेत्र में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी। स्थानीय प्रशासन ने भी प्रदर्शनकारियों की बातों को सुना और ज्ञापन प्राप्त किया। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है, क्योंकि सरना धर्म कोड झारखंड की राजनीति में एक बार फिर केंद्र में आ गया है।