Prayagraj Road Audit/प्रयागराज: महाकुंभ 2025 सम्पन्न हो चुका है, लेकिन इसके लिए बनाई गई सड़क परियोजनाओं की गुणवत्ता पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। लगभग 1000 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न विभागों द्वारा बनाई गई 103 सड़कों की जांच में सामने आया है कि 42 प्रतिशत सड़कें निर्माण गुणवत्ता में फेल हो गई हैं।
जांच में सामने आई खामियां
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज को स्मार्ट सिटी के तर्ज पर चमकाने की योजना के तहत सड़कों, नालों, फुटपाथों और लाइटिंग जैसे बुनियादी ढांचे को बेहतर किया गया था। लेकिन महाकुंभ के कुछ ही महीनों बाद ये सड़कें गड्ढों से भर गईं और कई जगहों पर डामर उखड़ने लगा।लोगों की शिकायतों के बाद मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने अप्रैल 2025 के अंत में सड़कों की गुणवत्ता की जांच के आदेश दिए थे। 20 अधिकारियों की टीम बनाई गई थी, जिसमें दो अपर आयुक्त और मजिस्ट्रेट भी शामिल थे। जांच में पाया गया कि नैनी, झूंसी, फाफामऊ और कई शहरी क्षेत्रों की सड़कों की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं है।
किस विभाग की कितनी जिम्मेदारी?
इन सड़कों का निर्माण लोक निर्माण विभाग (PWD), प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) और नगर निगम द्वारा किया गया था। अब ये सवाल उठ रहे हैं कि इतनी बड़ी धनराशि खर्च होने के बावजूद सड़कें कुछ ही समय में खराब कैसे हो गईं? क्या निर्माण कार्य में घटिया सामग्री इस्तेमाल हुई? क्या निगरानी तंत्र विफल रहा?