Kukru Health Failure: सरायकेला जिले के कुकड़ू प्रखंड में शनिवार को एक छात्र की जान सिर्फ इस कारण खतरे में पड़ गई क्योंकि पूरे प्रखंड क्षेत्र में एक भी सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी। यह मामला न केवल स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था को उजागर करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक छोटी-सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती थी।

क्लास के दौरान बिगड़ी छात्र की तबीयत
घटना शनिवार दोपहर की है। कुकड़ू प्रखंड के पीएम श्री उच्च विद्यालय, ईचाडीह में कक्षा 9 में पढ़ने वाला छात्र तरुण कुमार अचानक क्लास के दौरान अस्वस्थ हो गया। उसकी सांसें तेज़ चलने लगीं और वह अचेत हो गया। स्कूल स्टाफ और छात्र सहमे हुए थे। स्थिति गंभीर लग रही थी और तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी।

सरकारी तंत्र फेल‚ मदद के लिए कोई वाहन नहीं
स्कूल प्रबंधन ने तत्काल एंबुलेंस की तलाश शुरू की, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि पूरा कुकड़ू प्रखंड एक भी सरकारी एंबुलेंस से वंचित है। जब पास के तिरुलडीह थाना से संपर्क किया गया, तो जवाब मिला कि उनके पास ऑक्सीजन जैसी आवश्यक चिकित्सा सुविधा मौजूद नहीं है। यह स्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करती है।

समाजसेवी ने दिखाई मानवता‚ बचाई छात्र की जान
ऐसे कठिन समय में समाजसेवी हरेलाल महतो ने मानवीय पहल की। उन्होंने अपने निजी एंबुलेंस में डीजल डलवाकर छात्र को त्वरित रूप से ईचागढ़ सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने तुरंत उपचार शुरू किया। समय पर पहुंचने की वजह से छात्र की हालत अब स्थिर है और वह खतरे से बाहर है।

व्यवस्था पर सवाल‚ ज़िम्मेदार कौन?
इस पूरी घटना ने कुकड़ू जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत को फिर से उजागर कर दिया है। ‘108 एंबुलेंस सेवा’, जो आपात स्थिति में जान बचाने के लिए शुरू की गई थी, वह इन क्षेत्रों में नदारद है। सवाल यह है कि यदि ऐसे क्षेत्रों में चिकित्सा आपात स्थिति में वाहन और संसाधन नहीं मिलेंगे, तो आम ग्रामीण कैसे सुरक्षित महसूस करेंगे?
अब ज़रूरत है गंभीर पहल की
प्रशासन को चाहिए कि इस घटना को चेतावनी मानकर ऐसे क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करे। खासकर जहां स्कूल और बच्चे हों, वहां चिकित्सा वाहन की उपलब्धता अनिवार्य होनी चाहिए। वरना अगली बार ऐसी घटना जानलेवा साबित हो सकती है, और तब सवालों के जवाब देना मुश्किल होगा।