Kolhan University: कोल्हान विश्वविद्यालय के B.Ed विभाग में कार्यरत शिक्षक आज गंभीर संकट से गुजर रहे हैं। 2005 में शुरू हुए इस विभाग में कार्यरत 50% से अधिक शिक्षक आज भी बिना नवीनीकृत अनुबंध के कार्य कर रहे हैं। 8 जुलाई 2024 से अब तक उनका अनुबंध नवीनीकरण नहीं हुआ है और अक्टूबर 2024 से वेतन भी नहीं मिला है। यह स्थिति न केवल शिक्षकों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही है बल्कि उनके बच्चों की शिक्षा भी संकट में है।
हर साल शिक्षकों को 11 महीने का अनुबंध दिया जाता है, जो समय-समय पर नवीनीकृत किया जाता है। इस बार, स्थायी कुलपति की अनुपस्थिति को कारण बताते हुए पहले अनुबंध में देरी की गई, लेकिन अब सिंडिकेट बैठक के बाद जानकारी देने की बात कहकर मामला लगातार टाला जा रहा है।
शिक्षकों ने बताया कि वे पूरी ईमानदारी और समर्पण से कार्य कर रहे हैं, बावजूद इसके उनका वेतन बकाया है, पीएफ खाता खाली है, कोई पेंशन सुविधा नहीं है और न ही मेडिकल सहायता उपलब्ध है। अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में उन्हें ₹20,000 तक कम वेतन मिल रहा है।शिक्षकों का कहना है कि अब उनसे यह भी कहा जा रहा है कि वे UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) और NCTE(राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) दोनों के मानकों का पालन करें, जबकि अभी तक उनके नियोजन में इन मानकों का पूरी तरह पालन नहीं हुआ है। इससे शिक्षक दोहरी मार झेल रहे हैं – न तो स्थायित्व मिला और न ही उचित नियमों का लाभ।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि यदि कोई शिक्षक 10 वर्षों तक लगातार सेवा करता है, तो उसे स्थायी किया जाना चाहिए। लेकिन राज्य सरकार, राजभवन या अन्य जिम्मेदार निकाय इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।शिक्षकों ने कहा कि उन्होंने 2014 तक हर वर्ष इंटरव्यू दिए, सभी आवश्यक दस्तावेज भी जमा किए, फिर भी 20 साल की सेवा के बाद भी उन्हें स्थायी नहीं किया गया। वे कई बार नेताओं, विश्वविद्यालय प्रशासन और अन्य संस्थाओं से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस सहायता नहीं मिली।
कोल्हान B.Ed विभाग के ये शिक्षक अब अपनी बात सार्वजनिक मंचों पर ला रहे हैं ताकि उनकी दशा पर सरकार और समाज का ध्यान आकर्षित हो सके।