Jugsalai Road Hazard: झारखंड के औद्योगिक शहर जमशेदपुर से उड़ीसा को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग अब खतरे का प्रतीक बनता जा रहा है। जुगसलाई स्थित संकट सिंह पेट्रोल पंप से लेकर खासमहल गोलपहाड़ी मोड़ तक की सड़क की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उसे ‘सड़क’ कहना ही गलत प्रतीत होता है।
बरसात के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो गई है। गड्ढों में पानी भरने से यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों के बीच सड़क।
हर दिन गुजरते हैं सैकड़ों वाहन‚ मगर सुरक्षा भगवान भरोसे
इस जर्जर मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों वाहन गुजरते हैं, जिनमें आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र, टाटा स्टील और आसपास के इलाकों में कार्यरत मजदूर और आम नागरिक शामिल हैं। यह मार्ग उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है, लेकिन अब यह हर दिन जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है।
स्थानीय बाइक सवारों और राहगीरों का कहना है,
“हम घर से निकलते हैं तो यह सोचकर निकलते हैं कि पता नहीं आज सही-सलामत लौट भी पाएंगे या नहीं। बारिश में गड्ढों में इतना पानी भर जाता है कि समझ नहीं आता कब बाइक फिसल जाए या कोई गाड़ी पलट जाए।”

लोगों की नाराजगी‚ भारत सिंह की चेतावनी
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के जिला महानगर उपाध्यक्ष भारत सिंह ने प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी है।
“अगर जल्द ही सड़क की मरम्मत शुरू नहीं हुई तो हम बड़ा जन आंदोलन करेंगे। इतने बड़े-बड़े गड्ढे हैं कि आम आदमी का चलना दूभर हो गया है। हर दिन कोई न कोई घायल हो रहा है। आने वाले समय में गणेश पूजा और दुर्गा पूजा जैसे बड़े पर्व हैं, अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा तो सड़कों पर विरोध होगा।”
प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल‚ अधिकारी भी हो रहे हैं अनदेखी के गवाह
हैरानी की बात यह है कि जिस रास्ते पर इतनी दुर्दशा है, उसी मार्ग से जिला प्रशासन और रेल प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी रोज गुजरते हैं। यहां रेलवे क्वार्टर भी स्थित हैं, जहां अधिकारी रहते हैं, इसके बावजूद कोई ठोस पहल अब तक नहीं की गई है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है,
“अब तो डर लगता है कि कब क्या हो जाए। यह सड़क दुर्घटनाओं का न्योता बन चुकी है, मगर प्रशासनिक स्तर पर कोई हलचल नहीं दिखाई देती।”
त्योहारों से पहले और बढ़ेगा संकट?
जनता अब पूछ रही है—क्या प्रशासन को और हादसों का इंतजार है? क्या लोगों की सुरक्षा अब प्राथमिकता नहीं रही? जब आने वाले हफ्तों में गणेश पूजा, दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों में भारी भीड़ और यातायात होगा, तो यही सड़क जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
ऐसे में यह सवाल प्रासंगिक हो गया है कि आखिर प्रशासन कब तक चुप रहेगा, और जनता कब तक गड्ढों में गिरती-संभलती रहेगी?