Dimna Protest Erupts: 21 गांवों के ग्रामीण शामिल‚ जिला प्रशासन और टाटा कंपनी पर मिलीभगत का आरोप

Dimna Protest Erupts: पूर्वी सिंहभूम जिले के डिमना क्षेत्र अंतर्गत मिर्जाडीह और आसपास के गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने सोमवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। यह आंदोलन “मिर्जाडीह बाँध विस्थापित एवं रैयत संघर्ष मोर्चा” के बैनर तले आयोजित किया गया, जिसमें 21 गांवों के ग्राम प्रधान, मुखिया और

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Dimna Protest Erupts: पूर्वी सिंहभूम जिले के डिमना क्षेत्र अंतर्गत मिर्जाडीह और आसपास के गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने सोमवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। यह आंदोलन “मिर्जाडीह बाँध विस्थापित एवं रैयत संघर्ष मोर्चा” के बैनर तले आयोजित किया गया, जिसमें 21 गांवों के ग्राम प्रधान, मुखिया और रैयत शामिल थे।

प्रदर्शनकारियों ने डिमना चौक से पैदल मार्च करते हुए परंपरागत हथियारों के साथ जिला उपायुक्त कार्यालय तक रैली निकाली। उनका कहना था कि वे शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ता के साथ अपने हक और सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं।

प्रशासन पर गंभीर आरोप, टाटा कंपनी के साथ मिलीभगत का दावा

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हाल ही में राजकीय शोक के दौरान टाटा कंपनी और जिला प्रशासन की मिलीभगत से मिर्जाडीह क्षेत्र के रैयतों के घरों को ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई जानबूझकर की गई और यह दर्शाता है कि प्रशासन टाटा कंपनी के इशारे पर कार्य कर रहा है।
उनका आरोप था कि मूलवासी रैयतों के साथ दमन हो रहा है और न्याय नहीं मिल रहा

पांच सूत्री मांग पत्र सौंपा, 30 दिन की चेतावनी

प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त को पांच सूत्री मांग पत्र भी सौंपा, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख मांगे शामिल थीं:

  1. मिर्जाडीह रैयतों के घर तोड़ने के दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी
  2. सभी प्रभावित गांवों में सड़क निर्माण
  3. सभी विस्थापितों को विस्थापन प्रमाण पत्र दिया जाए
  4. टाटा लीज नवीकरण समिति में विस्थापितों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो
  5. विस्थापितों के हक़ में संविधानसम्मत अधिकारों की बहाली

आंदोलन होगा और उग्र, 30 दिन की डेडलाइन

प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर प्रशासन 30 दिनों के भीतर इन मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करता है, तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा।
एक वक्ता ने कहा, “यह केवल अधिकारों की मांग नहीं है, यह अस्तित्व की लड़ाई है। मूलवासी रैयतों को लगातार हाशिये पर डाला जा रहा है, अब और चुप नहीं बैठेंगे।”

स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार

इस प्रदर्शन के बाद अब नजरें जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। हालांकि, समाचार लिखे जाने तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई थी।

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