Jamshedpur subarnareka river: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वैज्ञानिक अमृता मिश्रा ने बताया कि लंबे समय से नदी में जल प्रवाह रुका हुआ था। बारिश में प्रवाह बढ़ जाता है। ऐसे में सूखी जमीन पर जैविक तत्वों में फास्फेट, नाइट्रेट, अर्गेनिक रसायन, तेलीय पदार्थ पानी में घुलते ही झाग बनने लगता है। जीव-जंतुओं के मृत शरीर में तेलीय पदार्थ तथा फास्फेट की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में बारिश का पानी नदी में भरते ही झाग बनना स्वाभाविक है। पानी के नमूनों की जांच होने के बाद पता चलेगा कि किस-किस तरह के रसायन पानी में मिले हैं। वहीं, नदी में कई मछलियां भी मर कर ऊपर आ गई थीं। घटना की जानकारी पाकर भारतीय जनता पार्टी, व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक नीरज सिंह नदी किनारे पहुंचे और मुआयना किया। उन्होंने एसडीओ से बात कर इसकी जांच कराने की मांग की।
स्वर्णरेखा नदी के पानी में सफेद झाग निकलने के बाद नदी तट पर देखने वालों की भीड़ लग गई। तैरते झाग को देख लोग तरह-तरह के कयास लगाने लगे हैं। वे कल कारखानों से निकलने वाले रसायन के चलते झाग निकलने की उम्मीद जता रहे थे, वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गुरुवार को पानी के नमूनों की जांच के लिए रांची भेजने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि स्वर्णरेखा नदी में प्रदूषण को लेकर पहले भी चर्चा होती रही है। तटीय इलाकों में भवन निर्माण और नदी में कारखानों का अपशिष्ट गिराए जाने से हालात बिगड़ने की बात कही जाती रही है।
नदी किनारे रहने वाली बड़ी आबादी इस नदी में नहाती है, जिनमे कई बच्चे भी होते है। नदी का पानी प्रदूषित होने के कारण लोगों के साथ कोई बड़ी अनहोनी न हो जाए इसलिए अविलंब इसकी जांच कर समस्या को दूर किया जाए। वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजन अफसर जीतेंद्र सिंह ने कहा कि पानी के नमूनों की जांच कराई जाएगी। नमूने रांची लैब भेजने की तैयारी की जा रही है।
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