Jamshedpur: जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने सूर्य मंदिर कमिटी पर गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने एक प्रेस वार्ता वर्तमान कमिटी और आजसू के वरिष्ठ नेता चंद्रगुप्त सिंह पर जमकर निशाना साधा है। इस संबंध में उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा की –
1. श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, केबुल टाऊन में श्री लक्ष्मीनारायण प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का कार्यक्रम 3 जुलाई, 2024 से 7 जुलाई, 2024 तक होगा। श्री नारायण, लक्ष्मी जी, हनुमान जी और गणेश जी की प्रतिमाएं जयपुर से यहाँ आ गई हैं। माँ काली और शिव दरबार 2 दिन के भीतर आ जाएंगी। सभी प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा 7 जुलाई को होगी।
2. सूर्य मंदिर सिदगोड़ा के अध्यक्ष और संरक्षक क्रमशः श्री भूपेन्द्र सिंह और चन्द्रगुप्त सिंह काफी दिनों से अफवाह फैला रहे हैं कि शंख मैदान सूर्य मंदिर परिसर का हिस्सा है और मैं इसकी धार्मिक आस्था पर चोट करने के लिए विधायक निधि से यहाँ बास्केटबाॅल कोर्ट सहित कई काम कराना चाहता हूँ, इसलिए उन्होंने इसे रोक दिया है। सच्चाई यह है कि शंख मैदान और सूर्य मंदिर दोनों अलग अलग इकाई हैं। दोनों के बीच बाउंड्रीवाल (चहारदीवारी) का निर्माण 3 दिसंबर, 2022 और 10 मार्च, 2022 के बीच तत्कालीन सांसद श्री महेश पोद्दार की सांसद निधि से 13,15,955 रु. के व्यय पर किया गया। इसके लिए श्री महेश पोद्दार ने 7 फरवरी, 2020 को अनुशंसा किया जिसकी प्रति पूर्व मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास के निजी सहयक श्री अंजन सरकार को भी प्रषित है। (अनुलग्नक-1) इस बाउंड्रीवाल को सूर्य मंदिर समिति के लोगों ने 12 अपै्रल, 2024 को तोड़ दिया है जिसके विरुद्ध जमशेदपुर अक्षेस ने सिदगोड़ा थाना में 14 अप्रैल, 2024 को प्राथमिकी दर्ज कराया। (अनुलग्नक-2) ऐसा इन्होंने इसलिए किया कि शंख मैदान पर कब्जा कर लिया जाय। आश्चर्य है कि इस योजना का न तो शिलान्यास हुआ, न लोकार्पण हुआ और न शिलापट्ट लगाया गया। यह जानकारी पूर्वी सिंहभूम के जिला अभियंता ने दिनांक 13 दिसंबर, 2023 को दिया है। (अनुलग्नक-3)
3. मैंने अपनी विधायक निधि से शंख मैदान का सौंदर्यीकरण कराने मैदान में पार्क के चारों ओर बैठने के लिए बेंच लगाने और शंख को उचित स्थान पर रखने तथा श्रीमद्भागवत गीता में वर्णित छः शंखों को मैदान के किनारे लगाने के लिए अनुशंसा भेजा था जिसे उप विकास आयुक्त ने स्वीकृत कर अगस्त, 2023 को निधि विमुक्त कर दिया। (अनुलग्नक- 4) तबसे इसका निर्माण सूर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह और संरक्षक चन्द्रगुप्त सिंह नहीं होने दे रहे हैं। उन्होंने जनता में अफवाह फलाया कि मैं शंख मैदान में बास्केटबाॅल और कबड्डी का कोर्ट बनाकर धार्मिका आस्था पर प्रहार कर रहा हूँ। गत 24 जून को इन्होंने दिखाने के लिए एक धार्मिक अनुष्ठान आयोजित कर शंख मैदान के सौंदर्यीकरण का काम रोकवा दिया। इसके पहले जब भी जमशेदपुर अक्षेस के कर्मी काम करने गए तो इन्होंने उन्हें भगा दिया। जबकि पूरा शंख मैदान विधायक निधि और अन्य सरकारी निधियों से बना हुआ है। वस्तुस्थिति यह है कि ये लोग इस मैदान और चिल्ड्रेन पार्क के व्यावसायिक लाभ ले रहे थे। प्रवेश करने वालों से 5 रुपए की अवैध वसूले कर रहे थे, जिसे मैंने बंद करवा दिया। (अनुलग्नक-5) उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम के निर्देश पर 7 अधिकारियों की टीम ने जाँच किया और पाया कि शंख मैदान एवं अन्य संरचनाएं सरकारी जमीन और सरकारी निधि से बनी हुई हैं। करोड़ों रुपए की इस सरकारी परिसंपत्ति पर सूर्य मंदिर समिति जबरन कब्जा करना चाहती है। इसी कारण से यहाँ के पूर्व उपायुक्त ने सूर्य मंदिर समिति का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के लिए आईजी रजिस्ट्रेशन को लिखा है और आई जी रजिस्ट्रेशन ने इनसे स्पष्टीकरण मांगा है। (अनुलग्नक-6)
4. सूर्य मंदिर समिति अब जेल में बंद अपराधियों के इशारा और समर्थन पर चलने लगी है। भारतीय जनतंत्र युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष श्री अमित शर्मा को जेल से मिली धमकी इसका प्रमाण है।
5. जिला प्रशासन से मेरी शिकायत है कि वे सरकारी संपत्ति की रक्षा करने में विफल साबित हुए हैं। विधान सभा में, विधान सभा समितियों के सामने तथा राज्य सरकार से हुए पत्रचारों में इन्होंने स्वीकार किया है कि सूर्य मंदिर के सामने वाला भूखंड सरकारी हैं। इनपर खड़ी संरचनाएं सरकारी निधि से बनी हैं, इन्हें जमशेदुपर अक्षेस को हस्तगत करा दिया गया है और जमशेदपुर अक्षेस ने इन्हें हस्तगत करना स्वीकार कर लिया है। (अनुलग्नक – 7) परंतु परसों 24 जून को उस स्थान पर हुई घटना साबित कर रही है कि इनका मनचाहा उपयोग सूर्य मंदिर समिति कर रही है। इतना ही नहीं जिला प्रशासन जानता है कि शंख मैदान में मैंने अपनी विधायक निधि से क्या क्या विकास कार्य करने की अनुशंसा की है परंतु जब सूर्य मंदिर समिति के भूपेन्दं्र सिंह और चन्द्रगुप्त सिंह आदि अफवाह फैला रहे हैं तो इसका खंडन और वस्तुस्थिति से अवगत कराने की कोशिश उन्होंने नहीं की। उन्होंने न तो योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए ही समुचित कारवाई किया और न ही इसके क्रियान्वयन में बाधा डालने वालों पर विधि सम्मत कारवाई ही की।