Jamshedpur Labour Crisis: जमशेदपुर में निर्माण कार्यों के लिए जरूरी ईंट‚ बालू और गिट्टी की आपूर्ति पिछले चार दिनों से पूरी तरह ठप है, जिससे दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से लौट रहे श्रमिकों को न तो काम मिल रहा है और न ही रोज़ की रोटी का सहारा। रोज़ाना मजदूरी करने वाले हजारों मजदूरों के लिए अब पेट भरना भी चुनौती बन गया है।
वाहन चालकों की हड़ताल से मचा हड़कंप
इस संकट की जड़ में हैं वे वाहन चालक, जो ईटा-बालू-गिट्टी की ढुलाई करते हैं। इन चालकों ने रविवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। उनका आरोप है कि पुलिस-प्रशासन उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान कर रहा है। वाहन चालकों के मुताबिक, जब वे सप्लायर से निर्माण सामग्री लाते हैं तो पुलिस चालान दिखाने की मांग करती है। सप्लायर द्वारा पहले ही विभाग को चालान जमा कर दिया जाता है, बावजूद इसके चालान न दिखाने पर चालकों को भारी-भरकम जुर्माना भरना पड़ता है, और कई बार गाड़ियाँ भी जब्त कर ली जाती हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया‚ समाधान अभी अधर में
इस मुद्दे पर उपायुक्त (DC) ने खनन विभाग को तत्काल संज्ञान लेने और एक स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने का निर्देश दिया है। हालांकि यह SOP कब तक तैयार होगी‚ इसे लेकर कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की गई है। इस बीच, हर बीतते दिन के साथ निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं और मजदूरों की हालत बदतर होती जा रही है।
व्यापक असर‚ एक लाख लोग प्रभावित
इस हड़ताल का असर सिर्फ निर्माण सामग्रियों तक सीमित नहीं रहा। शहर के लगभग एक लाख मजदूर‚ चालक‚ खलासी और निर्माण कार्यों में लगे अन्य असंगठित श्रमिक सीधे तौर पर इस संकट से प्रभावित हुए हैं। सैकड़ों छोटी-बड़ी निर्माण परियोजनाएं ठप पड़ी हैं‚ जिससे स्थानीय विकास कार्यों की रफ्तार पर भी असर पड़ा है।
भविष्य की राह अनिश्चित
जमशेदपुर जैसे औद्योगिक शहर में जहाँ रोजाना सैकड़ों निर्माण कार्य चलते हैं‚ वहाँ इस प्रकार की स्थिति न केवल आर्थिक गतिविधियों को रोकती है‚ बल्कि सबसे कमजोर तबकों को सबसे ज्यादा चोट पहुँचाती है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक SOP लागू करता है और मजदूरों को राहत मिलती है या नहीं।