Graduates Protest Kolhan:कोल्हान विश्वविद्यालय एक बार फिर छात्रों की भविष्य के साथ खिलवाड़ के आरोपों में घिर गया है। बीते सात वर्षों के दौरान ग्रेजुएशन सत्र 2017–20, 2018–21, 2019–22, 2020–23 और 2021–24 के छात्रों की GE-1 और GE-2 विषयों की परीक्षा ही आयोजित नहीं की गई। छात्र, शिक्षक और पूर्व छात्रों के लगातार दबाव के बाद विश्वविद्यालय ने अब जाकर परीक्षा लेने का निर्णय तो लिया है, पर जिस तरह से यह फैसला लागू किया गया है, उससे छात्र और छात्र संगठनों में भारी आक्रोश है।
“इच्छुक विद्यार्थी परीक्षा दें”‚ छात्रों को गुमराह करता नोटिस
कोल्हान विश्वविद्यालय द्वारा जारी अधिसूचना में लिखा गया है कि “इच्छुक विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं” — यह पंक्ति छात्रों को गहरी आपत्ति का कारण बन रही है। छात्रों का कहना है कि गलती विश्वविद्यालय की थी, फिर ‘इच्छुक’ शब्द का प्रयोग कर विश्वविद्यालय अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। साथ ही, नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पूर्व के प्रमाण पत्र में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा‚ बल्कि एक अलग मार्कशीट जारी की जाएगी जिसमें सिर्फ चार GE विषयों के अंक होंगे।
छात्रों और संगठनों का सवाल है कि आखिर उस अलग मार्कशीट का कानूनी उपयोग कहां होगा? और भविष्य में इस पर सवाल उठे तो उन्हें कौन जवाब देगा?

पूर्व में फीस दे चुके छात्रों से दोबारा ₹480 क्यों?
इस मुद्दे को लेकर युवा जनता दल यूनाइटेड (युवा जदयू) के नेता हेमंत पाठक ने जमशेदपुर में प्राचार्य का घेराव कर सवाल उठाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि छात्र पहले ही अपनी डिग्री परीक्षा के लिए निर्धारित शुल्क जमा कर चुके हैं। ऐसे में GE विषयों की परीक्षा के नाम पर दोबारा ₹480 की मांग पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने मांग की कि इन छात्रों से बिना किसी शुल्क के फॉर्म भरवाया जाए।
नई मार्कशीट नहीं‚ पुरानी में ही बदलाव हो
हेमंत पाठक ने यह भी मांग की कि छात्रों को अलग से GE विषयों के लिए मार्कशीट जारी करना तर्कसंगत नहीं है। विश्वविद्यालय को पुराने प्रमाण पत्र वापस लेकर उसमें GE-1 और GE-2 विषय के नंबर जोड़ने चाहिए ताकि छात्र अपने करियर में परेशानी से बच सकें। साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह सूचना 2017 से अब तक के सभी प्रभावित छात्रों तक पहुंच चुकी है?

बिना तैयारी परीक्षा और परिणाम में असमंजस
छात्रों ने यह चिंता भी जताई कि बिना तैयारी के परीक्षा लेना छात्रों के साथ अन्याय होगा। उन्हें समुचित तैयारी का समय दिया जाए। साथ ही यदि कोई छात्र इस परीक्षा में असफल होता है तो क्या उसे पुनः अवसर मिलेगा — इसपर विश्वविद्यालय को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए।
CLC और माइग्रेशन लेने वाले छात्रों की वैधता स्पष्ट करें
कई छात्रों ने इस दौरान CLC (कॉलेज लीविंग सर्टिफिकेट) और माइग्रेशन ले लिया है। अब सवाल उठता है कि ऐसे छात्रों की GE विषयों की परीक्षा वैध मानी जाएगी या नहीं। इसपर विश्वविद्यालय की ओर से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं आया है।
“छात्रों के क्रेडिट स्कोर पर असर‚ प्रमाण पत्र फर्जी माने जाएंगे”
छात्रों ने चेताया कि इस तरह की लापरवाही से न केवल उनका क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो रहा है, बल्कि भविष्य में अन्य राज्य या विश्वविद्यालयों में उनके प्रमाण पत्रों को फर्जी तक कहा जा सकता है। युवा जदयू ने कुलपति से जल्द हस्तक्षेप की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि इस मुद्दे पर उचित निर्णय नहीं लिया गया, तो उग्र आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।