Seraikela Jail Court: झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, रांची के निर्देशानुसार तथा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सरायकेला-खरसावां रामाशंकर सिंह के मार्गदर्शन में जिला जेल, सरायकेला में मासिक जेल अदालत, विधिक जागरूकता शिविर एवं चिकित्सा जांच शिविर का संयुक्त आयोजन किया गया। इस पहल का उद्देश्य जेल बंदियों को उनके कानूनी अधिकारों, स्वास्थ्य सुरक्षा और सामाजिक पुनर्वास के प्रति जागरूक करना रहा।

कानूनी सेवा, सहायता और मध्यस्थता पर संवाद
इस अवसर पर तौसीफ मेराज, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सरायकेला; सोनू कुमार, असिस्टेंट जेलर; जेल चिकित्सक, सहायक लोक अभियोजक; LADC टीम के चीफ, डिप्टी और असिस्टेंट सहित कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
जेल अदालत के दौरान बंदियों से प्राप्त कुल पांच आवेदनों पर विचार-विमर्श किया गया। तौसीफ मेराज ने जेल बंदियों को संबोधित करते हुए निःशुल्क विधिक सहायता, मध्यस्थता के विकल्प, तथा उनके कानूनी अधिकार और कर्तव्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सजा पूरी होने के बाद बंदियों को समाज के जिम्मेदार नागरिक के रूप में वापसी करनी चाहिए, और यह संस्था उनका सहयोग करने के लिए तत्पर है।
महिला बंदियों के लिए विशेष संवाद
कार्यक्रम के दौरान महिला वार्ड का निरीक्षण भी किया गया, जहां महिला बंदियों से सीधे संवाद कर उनकी समस्याएं सुनी गईं। यह भी पूछा गया कि क्या उन्हें किसी विशेष प्रकार की विधिक सहायता की आवश्यकता है। यह संवाद महिला बंदियों के कानूनी सशक्तिकरण की दिशा में एक संवेदनशील और सकारात्मक प्रयास माना गया।

स्वास्थ्य भी प्राथमिकता में शामिल
चिकित्सा शिविर के माध्यम से जेल में बंद पुरुष एवं महिला कैदियों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि जेल में भी उन्हें आवश्यक चिकित्सीय सुविधा मिले। इस पहल के अंतर्गत सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया गया।
आगामी लोक अदालत की जानकारी भी साझा
सभी बंदियों को 13 सितंबर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत की पूर्व जानकारी दी गई, ताकि वे समय रहते अपने मामलों के समाधान के लिए तैयार हो सकें। साथ ही, बंदियों को यह भी समझाया गया कि मध्यस्थता एवं वैकल्पिक विवाद समाधान की विधियां कैसे उनके लिए लाभकारी हो सकती हैं।
जेल सुधार की दिशा में सक्रिय पहल
यह आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे उन प्रयासों का हिस्सा है, जो जेल बंदियों के मानसिक, सामाजिक और कानूनी सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक माने जाते हैं। इस प्रकार की गतिविधियाँ जेलों में सुधारात्मक दृष्टिकोण को बल देती हैं और बंदियों के जीवन को नई दिशा प्रदान करती हैं।