Chhath Market Rush: लोक आस्था के महापर्व छठ की आहट से पूरा शहर उत्साह और भक्ति में डूबा हुआ है। जैसे-जैसे पर्व नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे तैयारियों की रफ्तार भी तेज़ होती जा रही है। बाजारों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है और हर कोई छठ पूजा के लिए आवश्यक सामान जुटाने में लगा है।
परंपरा के अनुसार, छठ पर्व पर प्रसाद हमेशा नए चूल्हे पर ही बनाया जाता है। इसी कारण जमशेदपुर के बाजारों में इन दिनों मिट्टी के चूल्हों की मांग अचानक बढ़ गई है। शहर के विभिन्न इलाकों—साकची, बिष्टुपुर, सोनारी और कदमा—के बाजारों में खरीदारों की भीड़ देखने को मिल रही है। इन चूल्हों की कीमत लगभग 100 रुपये तक बताई जा रही है।
स्थानीय कुम्हार बड़ी श्रद्धा और सावधानी के साथ मिट्टी के चूल्हों का निर्माण कर रहे हैं ताकि पूजा के दौरान पूर्ण शुद्धता बनी रहे। उनका कहना है कि छठ पूजा के समय लोग विशेष रूप से उन्हीं के हाथों बने चूल्हे को खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि इसे “पवित्र आरंभ” का प्रतीक माना जाता है। कुम्हारों की मेहनत और कौशल से शहर के बाजारों में इन दिनों मिट्टी की सुगंध फैल गई है।
छठ व्रतधारी भगवान भास्कर की उपासना के लिए आम की लकड़ी से प्रसाद तैयार करते हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल भी है। मिट्टी के चूल्हों पर पकाए जाने वाले प्रसाद में शुद्धता, भक्ति और पारंपरिकता का सुंदर संगम झलकता है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाता है।
हर साल की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालु भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। घाटों की सफाई, प्रसाद की तैयारी और सजावट के साथ शहर का माहौल पूरी तरह छठमय हो गया है। स्थानीय प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।