Dumka: झारखंड सरकार अभी तक स्थानीय नीति परिभाषित नहीं कर पाई है. स्थानीयता का आधार 1932 होगा या कोई अन्य उसमें तमाम राजनीतिक दल उलझा हुआ है. समय-समय पर इसकी मांग भी तेज होती है लेकिन मुद्दा यथावत है. (नीचे भी पढ़े)
इस सबके बीच हाल के दिनों में उपराजधानी दुमका में भीतरी-बाहरी का मुद्दा खूब उछाला जा रहा है. ताजा मामला दुमका बस पड़ाव का है. जहां कल देर रात अज्ञात लोगों द्वारा एक पोस्टर चिपकाया गया. पोस्टर में किसी का नाम नहीं लिखा गया है. लाल रंग से लिखे पोस्टर में लाल रंग की एक चूड़ी भी चिपकाया गया है. पोस्टर में बाहरी-भीतरी का जहर घोलकर माहौल बिगाड़ने का एक प्रयास किया गया है. पोस्टर में बाहरी मेरा घर छोड़ो भी लिखा गया है.
जब रविवार की सुबह लोगों की नजर इस पोस्टर पर गयी तो इसकी सूचना नगर थाना पुलिस को दी गयी. सूचना मिलते ही नगर थाना की पुलिस मौके पर पहुचीं और पोस्टर को जप्त कर लिया. पुलिस तमाम बिंदुओं पर अनुसंधान में जुट गई है.
हालांकि पोस्टर किसने चिपकाया यह अनुसंधान का विषय है. लेकिन बस स्टैंड में पोस्टरबाजी से चर्चा का माहौल गर्म है. लोगों की जुबान पर तरह-तरह की बातें तैर रही है. दरअसल एक सप्ताह से दुमका का माहौल कुछ अशांत है और इसका केंद्र बिंदु बस स्टैंड ही रहा है. पिछले सोमवार को बस स्टैंड के एक कर्मी पर एक युवक के साथ मार-पीट का आरोप लगा था. प्रतिशोध में युवाओं की टोली ने बस स्टैंड में जम कर तोड़-फोड़ और मारपीट करने के बाद बस स्टैंड के सामने सड़क जाम कर दिया. जाम हटाने में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. 3 युवकों को हिरासत में लिया गया. हिरासत में लिए गए युवकों को छोड़ने के लिए युवाओं द्वारा थाना में प्रदर्शन किया गया था. पुलिस ने तीनों युवकों को छोड़ दिया था. आरोपी बस स्टैंड कर्मी को जब पुलिस ने हिरासत में लिया तो मंगलवार की सुबह बस स्टैंड के कर्मी और यूनियन लीडर ने नगर थाना परिसर में धरना पर बैठ गए. मजबूरन पुलिस को उसे भी छोड़ना पड़ा. बता दें कि इन सब के बीच बस स्टैंड कर्मी बस स्टैंड परिसर में सुरक्षा की मांग लंबे समय से कर रहे थे. इसी बीच एसडीओ के नेतृत्व में बस स्टैंड परिसर की सुरक्षा के मुद्दे पर वार्ता हुई. जिसके अनुरूप परिसर में स्थायी रूप से सुरक्षाबलों की प्रतिनियुक्ति की गई. 16 सीसीटीवी लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली. लगा मामला शांत हो गया.
लेकिन बस स्टैंड का विवाद अंदर-अंदर सुलग ही रहा है. विवाद के दौरान आरोप प्रत्यारोप का दौर चला. संथाल परगना मोटर मजदूर यूनियन के अध्यक्ष अरुण सिंह पर संथाल समुदाय की भावना को आहत करने का आरोप लगा. एससी-एसटी थाना में उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाई के लिए आवेदन दिया गया.
लेकिन अब पोस्टर चिपका कर बाहरी भीतरी का मुद्दा उछाला गया है. यह मामला काफी संवेदनशील है. गहनता से पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाई होनी चाहिए. नहीं तो अपेक्षाकृत शांत समझे जाने वाले दुमका को अशांत होते देर नहीं लगेगी. वैसे जिला प्रशासन ने पूरे मामले को काफी गंभीरता से लिया है.