Drain Dispute Crisis: जमशेदपुर में लगातार हो रही बारिश के कारण टाटा कमांड एरिया से बाहर के क्षेत्रों की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। खासकर गोविंदपुर मुख्य मार्ग पर स्थिति बेहद विकट हो गई है, जहां नाला विवाद के चलते पूरा मार्ग जलमग्न हो गया है और करीब डेढ़ दर्जन वार्डों का शहर से सीधा संपर्क टूट गया है।
इस संकट के बीच, स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों का गुस्सा फूट पड़ा है। जिला परिषद सदस्य डॉ. परितोष सिंह के नेतृत्व में जनप्रतिनिधियों ने ‘जल सत्याग्रह’ शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक समस्या का समाधान नहीं होता, तब तक यह सत्याग्रह जारी रहेगा।
टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस पर गंभीर आरोप‚ नाला बंद करने से बिगड़ी स्थिति
जानकारी के अनुसार, टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस के बीच नाले के उपयोग को लेकर विवाद चल रहा है। आरोप है कि दोनों कंपनियों ने अपने परिसर से गुजरने वाले नाले को बंद कर दिया है, जबकि स्थानीय सड़कों का पानी इन्हीं नालों से निकलता था। परिणामस्वरूप, गोविंदपुर मुख्य मार्ग पर भारी जलजमाव हो गया है।
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि उन्होंने दोनों कंपनियों से कई बार बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन समाधान नहीं निकला। जब कंपनियों ने संवाद से दूरी बनाई, तो जनता को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा।
आवागमन ठप‚ जनजीवन प्रभावित‚ प्रशासन मौन
जलभराव के कारण सैकड़ों लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों, स्कूल जाने वाले बच्चों, कामकाजी लोगों और दुकानदारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस मार्ग से कई अत्यावश्यक सेवाओं का संचालन भी प्रभावित हो रहा है।
स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता ने लोगों के आक्रोश को और बढ़ा दिया है। जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक सड़क से पानी निकलने का स्थायी समाधान नहीं निकलता, आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
सत्याग्रह स्थल पर जुटने लगे ग्रामीण‚ विरोध में बढ़ रही एकजुटता
डॉ. परितोष सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, “यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है, बल्कि जनता की जीवन रेखा से जुड़ा प्रश्न है। जब तक पानी की निकासी का रास्ता नहीं खोला जाता, तब तक यह सत्याग्रह समाप्त नहीं होगा।” उनके साथ कई स्थानीय वार्ड पार्षद, ग्रामीण नेता और नागरिक संगठन भी समर्थन में सामने आए हैं।
प्रशासन से त्वरित हस्तक्षेप की मांग‚ समाधान की राह देख रही जनता
अब सबकी निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं, कि वह टाटा कंपनियों के बीच इस विवाद को कैसे सुलझाता है। क्षेत्रवासियों की मांग है कि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप कर जल निकासी का रास्ता बहाल कराए, ताकि सामान्य जीवन पटरी पर लौट सके।