Dalma Road Crisis: चांडिल अनुमंडल के चाकुलिया गांव के समीप दलमा चौक से दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी तक जाने वाली सड़क की हालत बेहद खराब हो चुकी है। दलमा टॉप तक जाने वाली इस सड़क पर जगह-जगह गड्ढे और पानी भर जाने के कारण बाइक सवार पर्यटकों के गिरने की घटनाएं आम हो गई हैं। यह मार्ग माकुलकोचा (2 किमी), पिंडराबेड़ा (13 किमी) और दलमा टॉप (17 किमी) जैसे लोकप्रिय स्थलों से होकर गुजरता है, जहां श्रद्धालु दलमा बूढ़ा बाबा के शिव मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना करने आते हैं।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सड़क की खस्ताहाल स्थिति से न सिर्फ पर्यटक, बल्कि चालियामा, फाड़ेगा, बांधडीह और बोड़ाम प्रखंड के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। नीमडीह थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इन इलाकों से रोजाना सैकड़ों लोग इसी मार्ग से आवाजाही करते हैं।
दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी से प्रतिमाह लगभग दो लाख रुपये का राजस्व वन विभाग को प्राप्त होता है। पर्यटकों से सफारी के लिए ₹2800, म्यूजियम प्रवेश के लिए ₹100, निजी गाड़ियों के लिए ₹600 और प्रति व्यक्ति ₹10 शुल्क वसूला जाता है। बावजूद इसके, बुनियादी ढांचे की स्थिति दयनीय बनी हुई है।
मकुलकोचा चेक नाका के पास स्थित “सूचना कियोस्क सह स्मारिका दुकान”, जिसे करीब ₹70 लाख की लागत से लकड़ी से निर्मित किया गया था, आज जर्जर अवस्था में है। हाल ही में एक पर्यटक लकड़ी के पाट में पैर फँसने से घायल हो गया। अब उस स्थान पर रिंग जाली लगाई गई है, लेकिन पूरे भवन की हालत खतरनाक बनी हुई है। पर्यटक समान खरीदते समय भी जोखिम में हैं, क्योंकि लकड़ी के पाट टूटने लगे हैं। वन विभाग के अधिकारी इस पर मौन साधे हुए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता बाबू राम सोरेन ने बताया कि कीचड़ से भरे इस रास्ते पर प्रतिदिन पर्यटक और ग्रामीण कठिनाई झेलते हैं। वशिष्ठ सिंह और बाबूराम किस्कू जैसे स्थानीय लोगों का कहना है कि दलमा क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित किए जाने के बाद विकास की उम्मीद थी, लेकिन हकीकत में विकास के नाम पर आदिवासी समुदाय को डराने-धमकाने का काम हो रहा है।
सावन महीना नजदीक है और हर वर्ष इस अवसर पर पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के कोनों-कोनों से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दलमा बूढ़ा बाबा की गुफा में दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। लेकिन मौजूदा स्थिति में श्रद्धालुओं को कीचड़ और फिसलन भरे रास्ते से गुजरना पड़ेगा, जिससे बड़ी दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
स्थानीय लोगों की मांग है कि वन एवं पर्यावरण विभाग सड़क की मरम्मत और अन्य आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था जल्द करे। साथ ही, इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे को मज़बूत किया जाए, ताकि क्षेत्रीय युवाओं को स्वरोजगार और स्थानीय रोजगार के अवसर मिल सकें। अन्यथा, यह क्षेत्र पर्यटन और आस्था दोनों के लिए जोखिमभरा साबित हो सकता है।