Champai Soren: राजनगर में आयोजित एक विशाल सभा में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने धर्मांतरण और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आवाज उठाई। इस दौरान उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार आदिवासियों के मुद्दों पर अंधी और बहरी हो गई है। चम्पाई सोरेन ने आदिवासी समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधानों, धर्मगुरुओं और आम लोगों का समर्थन मिलने का दावा किया।
सभा को संबोधित करते हुए चम्पाई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों के अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा के लिए बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू और भगवान बिरसा मुंडा जैसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होना होगा।
चम्पाई सोरेन ने आगे कहा कि धर्मांतरण के कारण आदिवासी समाज की संस्कृति और अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। उन्होंने मांग की कि धर्मांतरण करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड सरकार को आदिवासियों के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।


आदिवासी समाज का समर्थन
चम्पाई सोरेन ने दावा किया कि उन्हें आदिवासी समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधानों, धर्मगुरुओं और आम लोगों का समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग अपने अधिकारों के लिए जागरूक हो रहे हैं और वे अपने हकों के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं।
झारखंड सरकार पर आरोप
चम्पाई सोरेन ने झारखंड सरकार पर आदिवासियों के मुद्दों पर अंधी और बहरी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों के हितों की रक्षा करने में विफल रही है और उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
आगे की रणनीति
चम्पाई सोरेन ने कहा कि वे आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस मुद्दे पर बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार पर दबाव डालेंगे।