Adarsh Society Victory: सोनारी स्थित विवादित आदर्श गृह निर्माण स्वावलंबी सोसाइटी लिमिटेड के चुनाव में धनंजय डे के नेतृत्व वाली टीम परिवर्तन ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सभी 11 सीटों पर एकतरफा जीत दर्ज की है। पूर्व मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी व संस्थापक वाईएन यादव गुट के सभी प्रत्याशी करारी हार झेलते हुए बाहर हो गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा कराए गए इस ऐतिहासिक चुनाव में मतदाताओं ने निर्णायक रुख अपनाया।
चुनाव प्रक्रिया शनिवार सुबह 10 बजे भारत सेवाश्रम संघ प्रणव चिल्ड्रेन वर्ल्ड स्कूल, सोनारी परिसर में कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुई। शुरुआत में मौसम की खराबी के चलते मतदान धीमा रहा, लेकिन दोपहर तक रफ्तार पकड़ते हुए कुल 2595 में से 1697 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें से नौ मत अमान्य घोषित हुए, और शेष 1688 वैध मतों की गणना देर शाम तक की गई। चुनाव में कुल 28 प्रत्याशी मैदान में थे।प्रशासन ने इस बार पहली बार सोसाइटी परिसर से बाहर मतदान की व्यवस्था की थी।
मतदान के लिए 10 बूथ बनाए गए थे। सुरक्षा को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। एडीसी भगीरथ प्रसाद के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिकारियों व मजिस्ट्रेटों की टीम दिनभर मौके पर तैनात रही। उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने भी मतगणना स्थल का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश दिए।जीत की घोषणा होते ही टीम परिवर्तन समर्थकों ने लड्डू बांटे, अबीर-गुलाल लगाया और एक-दूसरे को बधाई दी। प्रत्याशियों में धनंजय डे (344), डॉ. एस मिश्रा (343), माहेश्वरी दुबे (366), अलेयम्मा अंथोनी (386), समसुल होसेन (391), समरेश दास (383), बेरोनिका तिर्की (360) सहित अन्य विजयी घोषित हुए।
अनुसूचित जाति महिला सीट से संजू देवी पहले ही निर्विरोध चुनी जा चुकी थीं।हालांकि मतदान शांतिपूर्वक हुआ, लेकिन बीच-बीच में विवाद भी देखने को मिला। कुछ मतदाताओं के जबरन भीतर घुसने की कोशिश पर टीम परिवर्तन के वालंटियर और अन्य पक्ष के लोगों के बीच हाथापाई हो गई। टीम परिवर्तन के सदस्य जोसेफ द्वारा एक संदिग्ध मतदाता के प्रवेश पर आपत्ति जताने के बाद माहौल तनावपूर्ण हुआ, जिसे प्रशासन और पुलिस की तत्परता से संभाल लिया गया।इस बार कुल 14 निदेशक चुने जाने थे, जिनमें आठ सीटें आरक्षित थीं।
हालांकि पिछड़ा वर्ग की दो आरक्षित सीटें खाली रह गईं क्योंकि प्रत्याशियों के जाति प्रमाणपत्र बिहार से जारी थे, जो नियमानुसार मान्य नहीं थे।इस चुनाव ने न केवल विवादित सोसाइटी को नया नेतृत्व दिया है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के पालन के उदाहरण के रूप में भी इसे देखा जा रहा है।