Donald Trump/वाशिंगटन डीसी: पाकिस्तान को ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आतंकवाद के खिलाफ सहयोग के लिए धन्यवाद कहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश गया कि पाकिस्तान अब भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का अहम साझेदार बना हुआ है। ट्रंप का यह बयान पाकिस्तान की वैश्विक छवि सुधारने में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन भारत के लिए यह कूटनीतिक स्तर पर चिंता का विषय बन सकता है।
ट्रंप का यह धन्यवाद 2021 में काबुल एयरपोर्ट पर हुए आत्मघाती हमले के मास्टरमाइंड मोहम्मद शरीफ़ुल्लाह की गिरफ्तारी को लेकर आया है। 26 अगस्त 2021 को हुए इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों और 100 से अधिक अफगान नागरिकों की मौत हुई थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का दावा है कि शरीफ़ुल्लाह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया और अब वह अमेरिकी हिरासत में है।
शरीफ़ुल्लाह की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वॉल्ट्ज ने कहा कि उसने काबुल धमाके में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है। वहीं, सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने पुष्टि की कि शरीफ़ुल्लाह मंगलवार रात वॉशिंगटन डीसी पहुंच चुका है। इसके बाद ट्रंप ने पाकिस्तान को खुले तौर पर सराहा और इसे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक अहम योगदान बताया।
ट्रंप के इस बयान के बाद भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने इसे पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक जीत बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान के इस योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक विश्वसनीय सहयोगी के रूप में पेश करने की यह एक बड़ी कूटनीतिक पहल मानी जा रही है।
हालांकि, भारत के लिए यह स्थिति थोड़ी असहज हो सकती है। लंबे समय से भारत का यह रुख रहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में केवल दिखावटी कदम उठाता है और कई आतंकी संगठनों को गुप्त रूप से समर्थन देता है। ट्रंप का यह रुख अगर आगे भी जारी रहता है, तो यह भारत की आतंकवाद विरोधी नीति के लिए एक नई चुनौती बन सकता है।