Illegal Arms Trade: औद्योगिक शहर जमशेदपुर इन दिनों अपराध की एक नई लहर से जूझ रहा है। केवल दस दिनों के भीतर शहर में पांच फायरिंग की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें अपराधियों ने सरेआम गोलियां चलाईं और दहशत फैलाई। पुलिस ने हर बार त्वरित कार्रवाई कर आरोपियों को गिरफ्तार किया, हथियार बरामद किए — लेकिन सवाल जस का तस बना हुआ है: ये अवैध हथियार आखिर आ कहां से रहे हैं?
हथियारों का गढ़: बिहार के मुंगेर और औरंगाबाद से जुड़ा कनेक्शन
सूत्रों की मानें तो इन अवैध हथियारों की जड़ें झारखंड में नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्य बिहार में हैं। मुंगेर और औरंगाबाद जैसे जिले लंबे समय से अवैध हथियारों की मैन्युफैक्चरिंग और तस्करी के लिए कुख्यात रहे हैं। गिरफ्तार अपराधियों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि वे पिस्तौल और देसी कट्टा बिहार से मंगवाते हैं और फिर जमशेदपुर जैसे शहरों में उन्हें ऊंची कीमतों पर बेचते हैं। बाजार में एक पिस्तौल की कीमत ₹50,000 से ₹60,000 और देसी कट्टा ₹10,000 से ₹12,000 तक जाती है।
घटनाओं की श्रृंखला: कब और कहां चली गोलियां
- 10 जुलाई: बिष्टुपुर की खाऊ गली में चक्रधरपुर के विधायक प्रतिनिधि समरेश सिंह पर बाइक सवार अपराधियों ने फायरिंग की। तीन अपराधी गिरफ्तार हुए, जिनके पास से एक पिस्तौल, तीन गोली और दो खोखा बरामद हुए।
- 11 जुलाई: बागबेड़ा के हरहरगुड़ू में आशीष कुमार पर हमला हुआ। पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर एक देसी कट्टा और दो गोलियां जब्त कीं।
- 15 जुलाई: मानगो के जवाहरनगर रोड नंबर-9 में मोहम्मद अली पर गोली चलाई गई। पुलिस ने तीन अपराधियों के पास से तीन पिस्तौल और 13 गोलियां बरामद कीं।
- 16 जुलाई: सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के भुइयांडीह में दो राउंड फायरिंग हुई। दो देसी कट्टा और एक गोली बरामद करते हुए तीन अपराधियों को हिरासत में लिया गया।
- 17 जुलाई: गोलमुरी के टुइलाडूंगरी स्थित वॉशिंग सेंटर पर फायरिंग हुई। पुलिस ने तीन युवकों को एक पिस्तौल और एक गोली के साथ गिरफ्तार किया।
जमशेदपुर के हॉटस्पॉट: अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह
इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि बागबेड़ा, कदमा, जुगसलाई, मानगो, भाटिया बस्ती और गोलमुरी जैसे इलाके अब अपराधियों के लिए सक्रिय ज़ोन बन चुके हैं। पुलिस की कार्रवाई अधिकतर मामलों में घटना के बाद होती है — जिससे असल सप्लाई चेन को तोड़ना मुश्किल साबित हो रहा है।
सप्लाई चेन ही असली चुनौती
पुलिस के लिए अब केवल गोली चलाने वाले या घटना में शामिल अपराधियों को पकड़ना पर्याप्त नहीं है। जरूरत है उस नेटवर्क को तोड़ने की, जो हथियारों की आपूर्ति को संभव बनाता है। जब तक यह अवैध हथियारों की सप्लाई चेन नहीं टूटेगी, तब तक जमशेदपुर की सड़कों पर गोलियां चलती रहेंगी और आम जनजीवन खतरे में बना रहेगा।