Kharsawan Students Struggle: बुरुडीह का सरकारी मॉडल स्कूल बना कीचड़ में फंसी शिक्षा की तस्वीर

खरसावां प्रखंड के अंतर्गत बुरुडीह गांव में स्थित अंग्रेज़ी माध्यम का एकमात्र सरकारी मॉडल स्कूल इन दिनों बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जूझ रहा है। सबसे बड़ी समस्या है—स्कूल तक जाने वाली सड़क की बदहाली, जो बारिश के मौसम में कीचड़ में तब्दील हो जाती है। यह स्थिति न केवल छात्रों की पढ़ाई में बाधा बन रही है, बल्कि सरकार के विकास के दावों पर भी सवाल खड़े कर रही है।

रोज़ाना कीचड़ से जूझते हैं तीन सौ छात्र
बुरुडीह स्थित इस मॉडल स्कूल में लगभग 300 छात्र-छात्राएं खरसावां प्रखंड के विभिन्न गांवों से पढ़ने आते हैं। लेकिन स्कूल तक पहुंचने के लिए उन्हें रोज़ाना कीचड़ भरे, फिसलन वाले रास्ते से गुजरना पड़ता है। बारिश होते ही यह रास्ता किसी दलदल में बदल जाता है। बच्चों को हाथ में चप्पल और पीठ पर स्कूल बैग लेकर बेहद कठिनाई के साथ स्कूल पहुंचना पड़ता है।

अभिभावकों और शिक्षकों की बढ़ती चिंता
स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र और उनके अभिभावक इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। कई बार छात्र रास्ते में फिसल भी जाते हैं, जिससे उन्हें चोट भी लगती है। स्कूल की उपस्थिति पर भी इसका असर पड़ रहा है। अभिभावक यह सवाल उठा रहे हैं कि जब शिक्षा मंत्री और सरकार सरकारी स्कूलों के स्तर को सुधारने की बात करती है, तो फिर इस मॉडल स्कूल की इतनी अनदेखी क्यों?

बार-बार शिकायत के बाद भी नहीं हुई सुनवाई
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार इस समस्या को लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। न तो सड़क की मरम्मत हुई और न ही किसी स्थायी समाधान की योजना सामने आई है। ग्रामीणों का मानना है कि सरकार की ओर से बुनियादी सुविधाओं की यह उपेक्षा बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय है।

झारखंड के विकास मॉडल पर सवाल
बुरुडीह की यह हालत झारखंड के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत को उजागर करती है। यह वह स्कूल है, जिसे सरकारी मॉडल स्कूल कहा जाता है, लेकिन बुनियादी सड़कों के अभाव में यहां शिक्षा तक पहुंचना एक चुनौती बना हुआ है। यह रास्ता, जो शिक्षा का मार्ग होना चाहिए, आज विकास की राह का कीचड़ बन चुका है।
