elephant death Jharkhand : सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह थाना क्षेत्र स्थित हेवेन गांव में एक जंगली हाथी की मौत ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। यह घटना केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे वन विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल बनकर उभरी है। बीते एक महीने में चांडिल वन क्षेत्र में यह दूसरी हाथी की मौत है, जिससे वन विभाग की गंभीर लापरवाही उजागर हो रही है।स्थानीय ग्रामीणों में विभाग को लेकर जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है।
उनका कहना है कि दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी के हाथियों को भोजन और पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण वे गांवों की ओर पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।ग्रामीणों के अनुसार, पिछले 5-6 वर्षों से जंगली हाथियों का झुंड ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के पलास के बागानों में डेरा डाले हुए है। हाथी फसलों को बर्बाद कर देते हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। वहीं, जानमाल का खतरा भी लगातार बना रहता है।हाथियों की मौत के कारणों में करंट लगना, कीटनाशक युक्त फसल खाना और पर्यावरणीय कुप्रबंधन जैसे कारण सामने आए हैं।
लेकिन हर बार जांच सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति बनकर रह जाती है।सरकार की योजनाओं और फंड के बावजूद हाथियों के संरक्षण में लापरवाही क्यों हो रही है, यह सबसे बड़ा सवाल बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ों की योजनाएं जमीन पर नज़र नहीं आतीं और वन्य जीव संरक्षण सिर्फ रिपोर्टों में दर्ज रह जाता है।इस बीच वन विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है, लेकिन हाथी की मौत के बाद मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण जुट गए हैं और सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।