Elephant Attack: कोडरमा जिले के जयनगर प्रखंड के हिरोडीह पंचायत अंतर्गत कोसमाडी गांव में सोमवार तड़के एक दुखद घटना ने पूरे गांव को झकझोर दिया। सुबह लगभग 4:15 बजे 57 वर्षीय महिला ललवा देवी, जो स्वर्गीय छोटेलाल की पत्नी थीं, शौच के लिए घर से बाहर निकली थीं। इसी दौरान जंगली हाथी ने अचानक हमला कर दिया। भागने के प्रयास में भी वह हाथी के क्रोध से बच नहीं सकीं और हाथी ने उन्हें दौड़ाकर बेरहमी से कुचल डाला।
इस घटना के बाद ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, पिछले कई महीनों से हाथियों का आतंक इस इलाके में लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे जनहानि और फसल क्षति हो रही है। ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन से मांग की है कि इस पर तत्काल प्रभाव से ठोस कार्रवाई की जाए और मृतक के आश्रितों को पर्याप्त मुआवजा प्रदान किया जाए।
आलोचनात्मक विश्लेषण: यह घटना एक बार फिर इस बात को उजागर करती है कि झारखंड जैसे वनवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष कितना भयावह रूप ले चुका है। वन विभाग द्वारा समय पर निगरानी, चेतावनी और सुरक्षा उपायों की कमी के कारण निर्दोष ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। कोसमाडी जैसी घटनाएं केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं हैं, बल्कि यह सरकारी तंत्र की उदासीनता और योजनाओं की विफलता का भी परिणाम हैं।
यह भी चिंताजनक है कि इतनी गंभीर समस्या के बावजूद न तो स्थायी समाधान निकाला गया है और न ही ऐसी संवेदनशील बस्तियों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की कोई ठोस योजना बनाई गई है। हाथियों की आवाजाही के रूट मैप, वन सुरक्षा चौकियों और ग्रामीण जागरूकता कार्यक्रमों के अभाव में स्थिति दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है।
कोडरमा की यह घटना केवल एक महिला की मौत नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता का प्रतीक है। अगर अब भी सरकार और वन विभाग नहीं जागे, तो ऐसी घटनाएं भविष्य में और अधिक विकराल हो सकती हैं। सरकार को चाहिए कि वह वन्यजीव-मानव संघर्ष रोकने के लिए त्वरित और दीर्घकालिक योजनाएं बनाए, साथ ही मृतकों के परिवार को तुरंत मुआवजा और सहायता उपलब्ध कराई जाए।