इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण समुदायों के माता-पिता का दृढ़ विश्वास है कि बच्चे का जेंडर चाहे लड़का हो या लड़की वह उनके पढ़ने- लिखने में बाधा नहीं बननी चाहिए। इस अध्ययन में यह बात सामने आई कि लड़कियों के कुल 78 फीसदी और लड़कों के 82 फीसदी माता-पिता अपने बच्चों को ग्रेजुएशन और हायर स्टडी की पढ़ाई कराना चाहते हैं।
देश भर में आज 24 जनवरी, 2024 को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। लड़कियों को समाज में बराबरी का हक दिलाने और उनके प्रति होने वाले अन्याय के खिलाफ जागरुक करने के उद्देश्य से यह खास दिन पूरे भारत में मनाया जाता है। इसके साथ ही इस विशेष अवसर पर लैंगिक असमानता, स्कूल ड्रापआउट, स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियां, बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा जैसे मुद्दे पर भी चर्चा की जाती है, जिससे बालिकाओं से जुड़ी इन समस्याओं को जल्द से जल्द दूर किया जा सके। इस वहीं, इस मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि देश में छात्राओं की पढ़ने- लिखने की क्या है स्थिति है।
इस अवसर पर देखें तो 78 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण पैरेंट्स अपनी लड़कियों के ग्रेजुएशन के बाद आगे की पढ़ाई कराना चाहते हैं और इसके लिए प्रयास करते हैं। ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया और Sambodhi रिसर्च एंड कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से डेवलपमेंट Intelligence यूनिट की ओर से आयोजित हुई इस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण समुदायों के माता-पिता का दृढ़ विश्वास है कि बच्चे का जेंडर, चाहे लड़का हो या लड़की, वह उनके पढ़ने- लिखने में बाधा नहीं बननी चाहिए। इस अध्ययन में यह बात सामने आई कि लड़कियों के कुल 78 फीसदी और लड़कों के 82 फीसदी माता-पिता अपने बच्चों को ग्रेजुएशन और उससे ऊपर की पढ़ाई कराना चाहते हैं।
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