Job Protest Seraikela: सरायकेला जिले के कांड्रा स्थित अमलगम स्टील एंड पावर लिमिटेड कंपनी के विस्थापित कालिंदी परिवार ने सोमवार सुबह कंपनी के मुख्य गेट पर स्थायी रोजगार की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। आंदोलनकारियों ने “2003 के समझौते का पालन करो” और “विस्थापितों को रोजगार दो” जैसे नारे लगाते हुए कंपनी से अपने हक की मांग की। प्रदर्शन के दौरान कंपनी का मुख्य गेट घंटों तक बंद रहा, जिससे आवागमन प्रभावित रहा।
2003 के समझौते का आरोप‚ दो नौकरियां अब भी अधर में
गोविन्दा कालिंदी के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे परिवारों का कहना है कि वर्ष 2003 में जमीन अधिग्रहण के दौरान कंपनी और विस्थापित परिवारों के बीच लिखित समझौता हुआ था, जिसके अनुसार उनके परिवार को कुल पांच स्थायी नौकरियां दी जानी थीं। लेकिन अब तक केवल तीन नौकरियां दी गई हैं, जबकि दो नौकरियां आज तक लंबित हैं।
प्रशासन को आवेदन और आश्वासन के बाद भी कार्रवाई नहीं
आंदोलनकारियों ने बताया कि 19 अगस्त 2025 को उन्होंने इस मुद्दे पर जिला प्रशासन को लिखित आवेदन सौंपा था। 27 अगस्त को कंपनी के जीएम ने समस्या समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। परिवारों का कहना है कि कंपनी हर बार “देख लीजिए, हो जाएगा” कहकर मामले को टालती रही है।
एचआर अधिकारी पर धमकी का आरोप‚ गवाही के साथ दिया प्रमाण पत्र
विस्थापितों ने कंपनी के एचआर अधिकारी आर.एन. प्रसाद पर 9 सितम्बर को सार्वजनिक रूप से जान से मारने की धमकी देने का गंभीर आरोप लगाया है। गोविन्दा कालिंदी ने बताया कि कई लोगों ने इस घटना की गवाही दी है और उन्होंने संबंधित लिखित गवाह प्रमाण पत्र जिला प्रशासन को सौंपे हैं।
आंदोलन से पहले दी थी पूर्व सूचना‚ पुलिस ने रखी नजर
कालिंदी परिवार ने 6 अक्टूबर 2025 को ही आंदोलन की पूर्व सूचना उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक और अनुमंडल पदाधिकारी को दे दी थी। आंदोलन के दौरान पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा और स्थिति पर नजर बनाए रखी। प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा।
कंपनी प्रशासन की चुप्पी‚ आंदोलन और तेज करने की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कहा कि जब तक सभी विस्थापित परिवारों को लंबित नौकरियां नहीं दी जातीं, वे पीछे नहीं हटेंगे। गोविन्दा कालिंदी ने चेतावनी दी कि यदि जल्द प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। समाचार लिखे जाने तक कंपनी प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है और आंदोलन फिलहाल जारी है।