Chaibasa News: पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा वन क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य (सेंचुरी) घोषित करने के प्रस्ताव के खिलाफ मंगलवार को स्थानीय ग्रामीणों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण बैनर और तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरे और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। ग्रामीणों ने कहा कि यदि सारंडा को सेंचुरी घोषित किया गया, तो उनकी आजीविका पर गंभीर संकट आ जाएगा और उनके पारंपरिक वनाधिकार खत्म हो जाएंगे।
सुबह से ही विभिन्न गांवों के लोग समूह बनाकर एकत्र हुए और मुख्य सड़क मार्ग पर आक्रोश रैली निकाली। प्रदर्शन के दौरान ग्रामीण “सारंडा हमारा है, इसे हम नहीं छोड़ेंगे” जैसे नारे लगा रहे थे।
महिलाएं, बुजुर्ग और युवाओं की बड़ी संख्या ने भी इसमें भाग लिया। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार द्वारा बिना सलाह और सहमति के लिए गए इस फैसले से उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
ग्रामीण नेताओं ने कहा कि सारंडा का जंगल उनकी जीवनरेखा है — यही उनके भोजन, रोजगार और संसाधनों का स्रोत है। यदि यह क्षेत्र सेंचुरी बन गया, तो लकड़ी, जंगली उपज और चराई जैसी बुनियादी जरूरतों पर पाबंदी लग जाएगी।
उन्होंने प्रशासन पर ग्रामीणों की आवाज को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और कहा कि यह निर्णय स्थानीय समुदायों के हितों के खिलाफ है।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से सारंडा सेंचुरी प्रस्ताव को तुरंत वापस लेने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे और व्यापक जनसमर्थन जुटाएंगे।
कई सामाजिक और जनजातीय संगठनों ने ग्रामीणों की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि विकास और संरक्षण के नाम पर स्थानीय लोगों के अधिकारों को कुचलना उचित नहीं है। उनका कहना है कि सरकार को पहले जनसंवाद कर ग्रामीणों की राय लेनी चाहिए थी।