Tribal Harvest Fest: पारंपरिक रंगों में सजा हरिहरपुर‚ उमड़ा उत्सव का उल्लास

Tribal Harvest Fest: सरायकेला जिले के बड़ा हरिहरपुर में आदिवासी समाज का प्रमुख पर्व देश बंधना (सोहराय) गुरुवार को परंपरागत रीति-रिवाज और उल्लास के साथ मनाया गया। यह पर्व हर साल फसल कटाई के बाद मनाया जाता है और समुदाय के लोगों के लिए आस्था व एकता का प्रतीक माना

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Tribal Harvest Fest: सरायकेला जिले के बड़ा हरिहरपुर में आदिवासी समाज का प्रमुख पर्व देश बंधना (सोहराय) गुरुवार को परंपरागत रीति-रिवाज और उल्लास के साथ मनाया गया। यह पर्व हर साल फसल कटाई के बाद मनाया जाता है और समुदाय के लोगों के लिए आस्था व एकता का प्रतीक माना जाता है।

इस अवसर पर हरिहरपुर फुटबॉल मैदान में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मैदान को रंग-बिरंगे झंडों और फूलों से सजाया गया था। आदिवासी पुरुषों ने गाजे-बाजे की थाप पर पारंपरिक नृत्य किया, जबकि महिलाओं ने सज-धजकर पूजा-अर्चना की और अपने बैलों को आभूषणों व रंगीन कपड़ों से सजाया। कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों ने एक-दूसरे को शुभकामनाएँ दीं और सामूहिक नृत्य से उत्सव का रंग और भी गहरा हो गया।

सोहराय पर्व की सबसे विशेष झलक रही बैलों की सजावट और उनका नृत्य। पारंपरिक ढोल, मंदर और बांसुरी की धुनों पर बैलों को नचाया गया, जिससे पूरा वातावरण उत्साह से भर उठा। यह दृश्य मानव और पशु के गहरे संबंध का प्रतीक था, जो आदिवासी संस्कृति में प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

कार्यक्रम के दौरान पूर्व प्रमुख रामदास टुडू ने कहा कि “देश बंधना सोहराय पर्व आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण पर्व है, जो चार दिनों तक मनाया जाता है। यह पर्व मानव और पशु के सहअस्तित्व का प्रतीक है और हमारी संस्कृति की गहराई व प्रकृति प्रेम को दर्शाता है।” उन्होंने युवा पीढ़ी से इस परंपरा को आगे बढ़ाने की अपील भी की।

देश बंधना (सोहराय) न केवल एक धार्मिक पर्व है बल्कि यह आदिवासी समाज के जीवन दर्शन का उत्सव भी है, जो प्रकृति, पशु और मानव के बीच के अटूट संबंध को उजागर करता है। आने वाले दिनों में भी गांव में इसी उमंग के साथ पर्व के शेष अनुष्ठान जारी रहेंगे।

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