Pakur Welfare Scam: एसबीआई की सतर्कता से खुला मामला‚ फर्जी हस्ताक्षर ने बढ़ाई जांच

Pakur Welfare Scam: पाकुड़ जिला मुख्यालय स्थित कल्याण विभाग में करीब 12 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का गंभीर मामला सामने आया है, जिससे जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस पूरे प्रकरण का खुलासा 8 दिसंबर 2025 को उस समय हुआ, जब भारतीय स्टेट बैंक की पाकुड़ मुख्य

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Pakur Welfare Scam: पाकुड़ जिला मुख्यालय स्थित कल्याण विभाग में करीब 12 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का गंभीर मामला सामने आया है, जिससे जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस पूरे प्रकरण का खुलासा 8 दिसंबर 2025 को उस समय हुआ, जब भारतीय स्टेट बैंक की पाकुड़ मुख्य शाखा के मुख्य प्रबंधक ने आईटीडीए निदेशक सह जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार एक्का को पत्र लिखकर विभागीय खाते में पाई गई गंभीर अनियमितताओं की जानकारी दी।

बैंक प्रबंधन के अनुसार, जिला कल्याण विभाग के खाते से अन्य नामों पर राशि हस्तांतरण के लिए एक एडवाइस प्राप्त हुआ था। बैंक स्तर पर जांच के दौरान यह सामने आया कि एडवाइस पर किए गए हस्ताक्षर, बैंक रिकॉर्ड में दर्ज अधिकृत हस्ताक्षरों से मेल नहीं खा रहे थे। इससे बैंक अधिकारियों को दस्तावेज की वैधता पर संदेह हुआ।

इसी दौरान कल्याण विभाग का कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार केवट बैंक पहुंचा और उक्त एडवाइस के संबंध में जानकारी लेने लगा। कुछ ही देर बाद कार्यालय अधीक्षक मानवेंद्र झा भी बैंक पहुंचे और उसी एडवाइस के आधार पर राशि निकासी का आग्रह करने लगे। बैंक कर्मियों ने जब दोबारा हस्ताक्षरों का मिलान किया, तब भी वे प्रमाणित नहीं हो सके।

बैंक ने एडवाइस को जिला कल्याण पदाधिकारी को दिखाने की सलाह दी, जिसके बाद सूरज कुमार केवट, मानवेंद्र झा और अक्षय रविदास एडवाइस वापस लेकर बैंक से लौट गए। इस घटनाक्रम के बाद बैंक अधिकारियों को पूरे मामले में गंभीर गड़बड़ी की आशंका हुई और इसकी लिखित सूचना तत्काल जिला कल्याण पदाधिकारी को दी गई।

बैंक से प्राप्त सूचना के आधार पर जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार एक्का के निर्देश पर विभागीय स्तर पर आंतरिक जांच शुरू कराई गई। पूछताछ के दौरान कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार केवट ने स्वीकार किया कि उसने बिना किसी आधिकारिक आदेश के एडवाइस को फाड़ दिया था। सख्ती से पूछताछ के बाद उसने फाड़े गए एडवाइस के टुकड़े प्रस्तुत किए, जिन्हें दो अन्य कर्मचारियों की उपस्थिति में उसके हस्ताक्षर के साथ सील बंद कर सुरक्षित रखा गया।

विस्तृत जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि 1 फरवरी 2025 से लगातार अवैध रूप से सरकारी राशि की निकासी की जा रही थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद पुलिस ने कल्याण विभाग से जुड़े कर्मियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

पुलिस अब पूरे नेटवर्क, बैंकिंग प्रक्रिया और इसमें शामिल अन्य संभावित कर्मियों की भूमिका की गहन जांच कर रही है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस घोटाले से जुड़े और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

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