Union Minister Piyush Goyal: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उद्योग जगत से एक साहसी कदम उठाने का आह्वान किया और कहा कि “उन्हें सरकार से समर्थन की अपेक्षा छोड़कर प्रतिस्पर्धा में उत्कृष्ट बनने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए”।
पीयूष गोयल ने पूछा, “हम कब तक सब्सिडी, उच्च आयात शुल्क और संरक्षणवादी मानसिकता की बैसाखियों पर निर्भर रहेंगे?” उन्होंने उद्योग जगत से सवाल उठाया कि व्यापार में सफलता पाने के लिए कब तक सरकार पर निर्भर रहेंगे। गोयल का मानना है कि संरक्षणवाद और कमजोर सोच से बाहर निकलकर ही भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी पहचान बना पाएगा।
उन्होंने कहा कि “माइकल पोर्टर द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक लाभ पर किए गए कार्य को केवल व्यापार स्कूलों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। प्रतिस्पर्धात्मकता केवल सब्सिडी और संरक्षण से नहीं आती, बल्कि नवप्रवर्तन, विनिर्माण पद्धतियाँ, कौशल और दक्षताओं के उन्नयन से भी यह संभव है। उन्होंने आगे कहा, “जब तक हम प्रतिस्पर्धी नहीं बनेंगे, तब तक हम 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को साकार नहीं कर पाएंगे और हम विकसित देश बनने का लक्ष्य भी हासिल नहीं कर सकेंगे”।
कार्यक्रम में देर से पहुंच ने पर पीयूष गोयल ने कहा कि “पिछले कुछ दिनों से मैंने आराम नहीं किया है और वह “अशांत वैश्विक स्थिति” का सामना कर रहे हैं। फिर उन्होंने मजाकिया अदाज़ में कहा, “विभिन्न गतिविधियों के कारण मैं आधे मरे हुए महसूस कर रहा हूं”।
मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलें देश की मानसिकता को बदलने में मदद कर रही हैं। वहीं उन्होंने उद्योग जगत से भी अपील की कि वे गुणवत्ता मानकों को अपनाएं और छोटी कंपनियों की मदद करें, खासकर जैसे औषधि जैसे क्षेत्रों में जहां वैश्विक मंजूरी आवश्यक है। साथ ही, उद्योग से यह भी कहा कि उन्हें आदेशों को चुनौती देने के बजाय गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। पीयूष गोयल ने स्पष्ट रूप से यह कहा कि भारत अब वैश्विक व्यापार में अपनी बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है, और उद्योग जगत को भी इस दिशा में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।