
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर है। इस लिहाज से मनरेगा से जुड़ी योजनाएं झारखंड के लिए काफी मायने रखती हैं। इन योजनाओं में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मजबूत निगरानी होनी चाहिए। उन्होंने उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में झारखंड राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना परिषद की बैठक हर तीन माह में आयोजित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया, ताकि तमाम योजनाओं की नियमित समीक्षा हो सके।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के पहाड़ी इलाकों में अनेक चुआं और छोटे झरने हैं। इन सभी चुआं और झरनों की जियो मैपिंग कराने की परियोजना बनाएं ताकि इनके पानी की क्षमता को बढ़ाकर समुचित इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने संवर्धन योजना के तहत बनने वाले कुओं की भी जियो मैपिंग कराने को कहा। मुख्यमंत्री सोरेन ने गुरुवार को झारखंड राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद की अहम बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह निर्देश दिया। बैठक में सीएम को बताया गया कि चालू वित्तीय वर्ष में 900 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए लाभुकों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए। इससे योजनाओं को तय समय सीमा में पूरा करने में भी मदद मिलेगी और लाभुकों को बिचौलियों से निजात मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है। ऐसे में श्रमिकों को कार्य की कोई कमी नहीं है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आप इन योजनाओं की ग्रामीणों को जानकारी दें और उन्हें इन योजनाओं से जोड़ने की दिशा में पहल करें। इससे उनकी आय भी बढ़ेगी और गांवों का भी विकास होगा।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में मनरेगा से योजनाएं शुरू की गई हैं। कुछ समस्याएं हैं जो केंद्र के पाले में आती हैं। इस वजह से समय सीमा के अंदर राज्य सरकार को पैसे नहीं मिल पाते। किसान, मजदूर, ग्रामीण क्षेत्र के लिए योजना महत्वपूर्ण है। इसे कैसे मजबूती से लागू किया जाए, कैसे लोग जुड़ें इस पर समीक्षा हुई। लाभुक, किसान के मन में निराशा होने लगती है। इसका समाधान कैसे निकाला जाए, इस विषय को लेकर नीति आयोग की बैठक में बात रखने का निर्णय लिया है। कई योजनाएं हैं जिनके लक्ष्य को बड़ा किया गया है। बिरसा हरित ग्राम के माध्यम से पचास एकड़ में फलदार पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत मजदूरी करने वालों के लिए भी सामाजिक सुरक्षा के तहत सहायता अनुदान का प्रावधान है। ऐसे में इसकी जानकारी ग्रामीणों को हो, इसलिए सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं का बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें। झारखंड राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद के उपाध्यक्ष एवं ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और सदस्य के तौर पर कृषि मंत्री बादल, विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव वंदना दादेल, अपर मुख्य सचिव एल खियांगते, प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव अबु बकर सिद्दीकी, सचिव डॉ मनीष रंजन और विशेषज्ञ के रूप में प्रो रमेश शरण एवं जॉनसन टोपनो आदि मौजूद थे